Edited By ,Updated: 03 Aug, 2015 11:40 AM
बाबरी विध्वंस जांच आयोग के प्रमुख और पूर्व जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्राहन ने नया खुलासा किया है। उनका दावा है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल उन्होंने ही अपनी रिपोर्ट में किया है। अब कोई चाहे तो भी इसे बदल नहीं सकते।
लखनऊ। बाबरी विध्वंस जांच आयोग के प्रमुख और पूर्व जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्राहन ने नया खुलासा किया है। उनका दावा है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल उन्होंने ही अपनी रिपोर्ट में किया है। अब कोई चाहे तो भी इसे बदल नहीं सकते। एक इंटरव्यू में जस्टिस लिब्राहन ने कहा कि बीजेपी के जो नेता बाबरी विध्वंस में शामिल थे, वे आज संवैधानिक पदों पर बैठे हैं। राजस्थान के गर्वनर कल्याण सिंह इस मामले में हीरो थे। उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में सच लिखने की कीमत मैंने चुकाई है और आगे भी चुकाता रहूंगा।’
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के तत्कालीन जज मनमोहन सिंह लिब्राहन की अध्यक्षता में 1992 में बने आयोग ने 2009 में यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। 17 साल बाद सौंपी गई यह रिपोर्ट एक हजार पन्नों की है। उन्होंने रिपोर्ट में बीजेपी और आरएसएस के कई वरिष्ठ नेताओं को संलिप्त बताया है, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं है कि इन पर कोई कार्रवाई भी होगी। मैंने कई सुझाव भी दिए, लेकिन वोट और नारे की राजनीति के चलते कोई पार्टी इस पर काम नहीं करना चाहती। सच पूछो तो जांच आयोग बनाने का कोई फायदा नहीं हुआ। इसकी रिपोर्ट का भी वही हाल हुआ जो दूसरों का हुआ था।
जस्टिस लिब्राहन ने समझौता ब्लास्ट और मालेगांव मामले की भी जल्द जांच की मांग की है। उन्होंने कहना था कि एनआईए जैसी जांच एजेंसी की निष्पक्षता मजाक बनकर रह गई है। यदि सरकारें चाहें तो रातोंरात जांच पूरी की जा सकती है। सिख विरोधी दंगे और सुभाष चंद्र बोस पर कितने आयोग बने?’ उनकी रिपोर्ट का क्या हुआ? हालांकि लिब्राहन ने याकूब मेनन की फांसी पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।