Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jul, 2017 11:26 AM
भारत और दक्षिण चीन सागर में चीन के अडियल रवैये से चिढ़े अमरीका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन की बढ़ती राजनीतिक और सैन्य महत्वकांक्षाओं को लेकर चेताया है...
सिडनीःहिंद-प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को लेकर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी अब ज्यादा दिनों तक चुप बैठने वाली नहीं है। भारत और दक्षिण चीन सागर में चीन के अडियल रवैये से चिढ़े अमरीका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन की बढ़ती राजनीतिक और सैन्य महत्वकांक्षाओं को लेकर चेताया है। शीर्ष पेंटागन कमांडर ने जहां एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य जमावड़े को लेकर, तो ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण चीन सागर पर प्रभुत्व स्थापित करने की चीनी तिकड़म का विरोध किया है। अमरीकी वायुसेना के जनरल पॉल सेल्वा ने कहा कि चीनी सेना का आधुनिकीकरण एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमरीकी सैन्य तकीनीकी बढ़त के लिए चुनौती बन सकता है।
सेल्वा ने साथ ही कहा, 'चीनियों ने अपने क्षेत्रिय राजनीतिक लक्ष्यों को बढ़ाने के मकसद से अपने आर्थिक लाभ का दोहन की तत्परता दिखाई है। चीन का सैन्य आधुनिकीकरण जारी रहने से अमरीका और उनके मित्र व सहयोगियों के लिए चीनी प्रभाव को संतुलित करना चुनौती बना रहेगा।' वहीं ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने भी कुछ इसी तरह चीन की सैन्य महत्वकांक्षाओं का विरोध किया है। बिशप ने विवादित दक्षिण चीन सागर में जहाज़ों का बेरोक परिचालन सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि चीन द्वारा कृत्रम द्वीप बनाने और वहां सैन्यकरण का उनका देश विरोध करता है।
उधर डोकलाम क्षेत्र को लेकर भारत और चीन में जारी तनातनी के बीच अमरीका के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक ने भारत को इस क्षेत्र की मजबूत शक्ति बताया है। पूर्व अमरीकी सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण और सैंट्रल एशिया) निशा देसाई विस्वाल ने कहा है कि सिक्किम क्षेत्र में बीजिंग के व्यवहार से इस क्षेत्र के देशों में अशांति पैदा हो सकती है। विस्वाल ने कहा कि चीन को एक अहम ताकत के रूप में भारत का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'चीन को यह समझने की जरूरत है कि पूरे एशिया में रणनीतिक और सुरक्षा की क्षमता बढ़ती जा रही है. भारत इस क्षेत्र की मजबूत शक्ति है।'