Edited By ,Updated: 15 Jan, 2016 09:49 PM
किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों के संबंध मंे आज से एक नया कानून प्रभाव में आने के साथ अब ...
नई दिल्ली : किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों के संबंध में आज से एक नया कानून प्रभाव में आने के साथ अब बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों में 16 से 18 साल उम्र के किशोरों पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलेगा। राज्यसभा ने संसद के शीतकालीन सत्र में किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं संरक्षण) विधेयक को पारित किया था जिस पर राष्ट्रपति ने चार जनवरी को हस्ताक्षर किए।
नए कानून के तहत 16 से 18 साल उम्र के किशारों को जघन्य अपराध करने पर किशोर कानून के तहत संरक्षण नहीं मिलेगा और उन पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जाएगा। अभी तक किशोर न्याय कानून के तहत बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के किशोर आरोपियों पर भी किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) में ही मुकदमा चलता था और दोषी पाए जाने पर सुधार गृह भेजा जाता था और वहां रखने की अवधि तीन साल से अधिक नहीं होती थी।
नया कानून किशोर न्याय बोर्ड को यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच की अनुमति देता है कि क्या किशोर वाकई किसी जघन्य अपराध का दोषी है। जेजेबी को एेसे बच्चों के जघन्य अपराधों के मामलों को प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद किसी बाल अदालत (सत्र अदालत) में भेजने का विकल्प दिया गया है। संशोधित कानून में अनाथ, लावारिस और परित्यक्त बच्चों के रूप में नई परिभाषाएं दी गई हैं। 16 दिसंबर के सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद जघन्य अपराध के किशोर आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए आयुसीमा कम करने की मांग उठ रही थी।