जानिए , आखिर क्यों करनी पड़ी मोदी को जावेद की तारीफ

Edited By ,Updated: 29 Nov, 2015 05:19 PM

know why modi had to praise the javed

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में जलवायु परिवर्तन और सौर ऊर्जा से संबंधित मुद्दों पर बात की। आधे ...

नई दिल्ली: रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में जलवायु परिवर्तन और सौर ऊर्जा से संबंधित मुद्दों पर बात की। आधे घंटे के इस संबोधन में मोदी ने कानपुर की नूरजंहा जम्मू-कश्मीर के जावेद अहमद और जालंधर के लखविंदर सिंह का जिक्र किया। जावेद का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि आतंकियो की गोली का शिकार होने के बाद जावेद विकलांक हो गए लेकिन उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी।

पीएम मोदी ने कहा कि विकलांगता के बावजूद जावेद अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा रहे हैं और उनकी जिंदगी बदल रहे हैं। जावेद की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि वह न तो आतंकियों से डरे और न ही बीमारियों से निराश हुए। बता दें कि 1996 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियो ने जावेद को गोली मार दी थी ।
 
वह बच तो गए, लेकिन शारीरिक तौर पर बहुत ही कमजोर हो गए। रीढ़ की हड्डी में गोली लगने की वजह से वह अपाहिज हो गए। उनकी किडनी खराब हो गई। उनकी आंत का एक हिस्सा उनके शरीर से अलग करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। अपने पैरों पर खड़ा होने की जिद और समाज के लिए कुछ करने के जुनून ने उन्हें एक नई दिशा दी।
 
जावेद ने अपनी संवेदना ओर दुख से हार न मानने का फैसला किया। खुद की पढ़ाई, बच्चों की पढ़ाई हादसे के बाद से जावेद या तो बिस्तर पर होते हैं या व्वील चेयर पर। वह नई जिंदगी की तलाश में थे। तब उन्होंने विकलांग बच्चों को घर में ट्यूशन देना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें समझ में आया कि विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हें भी बच्चों को पढ़ाने का तरीका सीखने की जरूरत है। विकलांग बच्चों को पढ़ाने की बारीकियां सीखने के बाद वह चार साल तक बच्चों को ट्यूशन देते रहे और 2004 में उन्होंने विकलांग बच्चों के लिए एक स्कूल खोला बच्चे विकलांग नहीं, टीचर विकलांग होते हैं।
 
 जावेद कहते हैं कि बच्चे डिसेबल नहीं होते, बल्कि वो टीचर डिसेबल होते हैं जो उन्हें पढ़ा नहीं पाते। उनके स्कूल के बच्चे उन्हें बेहद प्यार करते हैं। राज्य और केंद्र सरकार से पुरस्कार पा चुके जावेद को केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरी की भी पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को चुना। वह आज भी उसी मेहनत के साथ उनका साथ दे रहे हैं।

विकलांगों के लिए बहुत कुछ करने की जिद स्कूल में सब कुछ सही होने के बाद जावेद की नजर सार्वजनिक स्थानों और सरकारी दफ्तरों पर पड़ी, जहां विकलांगों को समस्या होती है। तब उन्होंने इंफ्रास्टक्चर में सुधार पर काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने सोशल वर्क में मास्टर्स की डिग्री ली। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने जावेद की इस संघर्ष पूर्ण गाथा को सलाम करते हुए उन्हें हर भारतीय का प्रेरणाश्रोत बताया उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के हर कोने में जावेद जैसे प्रेरणा के दीप जल रहे हैं। हमें ऐसे लोगों से प्रेेरणा लेनी चाहिए। 

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