Edited By ,Updated: 07 Nov, 2015 12:38 AM
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने शुक्रवार को समुदाय में तलाक के लिए कायम तीन तलाक प्रणाली पर ...
नई दिल्ली: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने शुक्रवार को समुदाय में तलाक के लिए कायम तीन तलाक प्रणाली पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि यह गैर इस्लामिक है और कई मुस्लिम देशों में प्रतिबंधित है।
समूह ने यहां आयोजित अपने नौवें वार्षिक सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में कहा, ‘‘कुरान निकाह के दौरान मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देता है और तीन तलाक को मान्यता नहीं देता।’’ प्रस्ताव में कहा है, ‘‘फिर भी यह बुरी परंपरा भारत में कायम है। कई मुस्लिम देशों की तरह भारत में भी इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’’
सम्मेलन में समान आचार संहिता की बात को खारिज कर दिया और सरकार से आग्रह किया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएं। बीएमएमए की ओर से जारी एक बयान में संस्था की सहसंस्थापक नूरजहां साफिया नियाज ने कहा है कि भारत को न्याय एवं समानता पर आधारित एक मुस्लिम पर्सनल लॉ की कितनी आवश्यकता है।
संस्था की एक अन्य सहसंस्थापक जकिया सोमन ने इस बारे में बात की कि समान नागरिक संहिता किस तरह मुस्लिम महिलाओं की न्याय की खोज का जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि यह केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार से ही संभव हो सकता है, जहां निकाह की उम्र, तलाक और बहुविवाह प्रथा पर नियंत्रण लगाया जा सकता है।
सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से कोई 500 मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर ‘अब तलाक, तलाक, तलाक नहीं : मुस्लिम महिलाएं एक गैरइस्लामिक परंपरा पर प्रतिबंध की मांग करती है’, शीर्षक वाली एक रपट जारी की गई।