7 लोगों की 'हत्यारिन' शबनम ने कॉलेज फ्रेंड को सौंपा अपना बच्चा

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2015 02:27 PM

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दिसंबर 2008 में परिवार के 7 लोगों की हत्या करने के जुर्म में शबनम और उसके प्रेमी सलीम को अमरोहा सेशन कोर्ट द्वारा 2010 में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

 

मेरठ: दिसंबर 2008 में परिवार के 7 लोगों की हत्या करने के जुर्म में शबनम और उसके प्रेमी सलीम को अमरोहा सेशन कोर्ट द्वारा 2010 में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। जेल में सजा काटने के दौरान सबनम ने एक बेटे (ताज मोहम्मद) को जन्म दिया था और 7 साल से उसका बेटा जेल में उसके साथ ही रहा था। अब जुलाई 2015 में उसका बेटा जेल से बाहर आया इसके बाद शबनम ने अपने बेटे ताज मोहम्मद को उस्मान सैफी और उसकी पत्नी सौंप दिया है। उस्मान सैफी जो शबनम का कॉलेज फ्रेंड है जो बुलंदशहर में पत्रकार है ने बताया कि शबनम ने बेटे को सौंपने से पहले उसके सामने दो शर्तें रखी थी, कि उसके बेटे को कभी भी उसके गांव में न ले जाया जाए क्योंकि वहां उसकी जान को खतरा है और दूसरी शर्त ये थी कि उसके बेटे का नाम बदल दिया जाए।

इसी साल अमरोहा की बाल कल्याण समिति ने विज्ञापनों के जरिए ये कहा था कि अगर बच्चा छह साल से बड़ा है तो महिला कैदी इसे अपने साथ जेल में नहीं रख सकती है। इससे पहले शबनम ने अपने बच्चे को सैफी के साथ भेजने से मना कर दिया था और बाल कल्याण समिति से अनुरोध किया था कि उसके बेटे को किसी भी सरकार की ओर से चलाए जाने वाले आधुनिक मदरसा में भेजा जाए। सैफी ने कहा कि मुझे दो मई को जेल के अधिकारियों की ओर से एक फोन आया जिसमें कहा गया कि मैं बच्चे को गोद लेने को लेकर शबनम से बात कर सकता हूं। 10 जुलाई को मैंने और मेरी पत्नी ने उससे मुलाकात की और उसने कहा कि वह अपने बच्चे को हमें देने के लिए तैयार है। वहीं ताज मोहम्मद को जेल से लेने के बाद सैफी ने बताया कि वह उसकी पढ़ाई-लिखाई और परवरिश इस तरह करना चाहता है कि भविष्य में वह जो भी चाहे बन सकता है। 

क्या था मामला- 15 अप्रैल 2008 को अमरोहा में रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा अनीस के दस माह के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया गया और इसके बाद कुल्हाड़ी से वार कर हत्या की गई जबकि शबनम ने अर्श का गला दबाया। जांच में पता चला कि शबनम गर्भवती थी लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम से मिलकर पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस बीच जेल में शबनम ने बच्चे को भी जन्म दिया। लेकिन 15 जुलाई 2010 को ट्रायल कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई।

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