योगी आदित्‍यनाथ ने मुसलमानों की बढ़ती आबादी रोकने के लिए लगाई मोदी से गुहार

Edited By ,Updated: 26 Aug, 2015 07:01 PM

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भारत सरकार ने मंगलवार को धार्मिक आधार पर जनसंख्या के आंकड़े जारी किए। आंकड़ों के मुताबिक, हिंदुओं की जनसंख्या में जहां 0.7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, वहीं मुस्लिमों की जनसंख्या 0.8 प्रतिशत बढ़ी है।

गोरखपुरः भारत सरकार ने मंगलवार को धार्मिक आधार पर जनसंख्या के आंकड़े जारी किए। आंकड़ों के मुताबिक, हिंदुओं की जनसंख्या में जहां 0.7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, वहीं मुस्लिमों की जनसंख्या 0.8 प्रतिशत बढ़ी है। मुस्लिमाें की लगातार बढ़ रही जनसंख्या पर चिंता जाहिर करते हुए गोरखपुर के भाजपा सांसद योगी आदित्‍यनाथ ने पीएम मोदी से अपील की है कि केंद्र सरकार मुस्लिमों की आबादी को रोके।

योगी आदित्यनाथ ने जनसांख्यिकी असंतुलन पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि किसी भी संप्रभु राष्ट्र और उसकी अखंडता के लिए यह खतरे की घंटी है। इससे देश एक बार फिर विभाजन की दहलीज पर पहुंच जाएगा। ऐसे में देश में एक समान नागरिक संहिता के लिए कानून बनना चाहिए।गोरक्षनाथ मंदिर में बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'भारत ने 67 वर्षों पहले जनसांख्यिकी असंतुलन के कारण अपने बड़े-बड़े भू-भाग खोए हैं और विभाजन की त्रासदी झेली है। वह आज भी इसके खतरे में हैं। 
 
आदित्यनाथ ने कहा कि कश्मीर में आईएसआईएस के झंडे लहराना बंटवारे का संकेत है। साल 1990 में कश्मीर से हिंदुओं के सामूहिक पलायन के लिए मजबूर करना और 1947 में देश का विभाजन एक बार फिर उसी ओर संकेत कर रहा है।
 
हिंदुओं की कुल आबादी 0.7 प्रतिशत घटी है। वहीं सिखों, जैनियों और बौद्धों की हिस्सेदारी भी कम हुई है। वहीं, मुसलमानों की आबादी 0.8 प्रतिशत बढ़ी है। हिंदुओं की आबादी 16 प्रतिशत बढ़ रही है, तो मुस्लिमों की आबादी 24 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। यह एक खतरनाक रुझान है। समय रहते देश के हित में व्यापक परिप्रेक्ष्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करना चाहिए।'
 
आपको बता दें कि 2011 के जातिगत जनसंख्या के अनुसार जबकि लखनऊ के शहरी क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बढ़ी है जबकि पहली बार हिन्दुओं की जनसंख्या घटी है। हालांकि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले गांवों में मुस्लिम आबादी काफी कम है। यह खुलासा 2011 के जातिगत आधारित जनगणना में हुआ है।
 
आंकड़ों के मुताबिक राजधानी कि 45.89 लाख की कुल आबादी में 35.37 लाख नागरिक हिन्दू हैं जो कुल आबादी का 77.07 प्रतिशत है।वहीँ मुस्लिम आबादी 21.46 प्रतिशत है जबकि सिख और ईसाई की आबादी क्रमशः 0.52 और 0.44 प्रतिशत है।राजधानी के नगर निगम के तहत आने वाले 28.17 लाख नागरिक है जिसमे 71.71 प्रतिशत हिन्दू आबादी है तो 26.35 प्रतिशत मुस्लिम है, इसके बाद बाकी में सिख और ईसाई आते है।
 
 चौंकाने वाली बात यह है कि पांचवी सबसे सर्वाधिक आबादी उनकी है जो किसी भी धर्म को नहीं मानते। उनकी कुल संख्या 8,679 है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी शहरी क्षेत्र के मुकाबले आधी ही है। यहां हिन्दुओं की आबादी 87.58 है तो मुस्लिम आबादी 11.83 प्रतिशत है।
 
गौरतलब है कि 2011 की जनगणना मुताबिक भारत की कुल आबादी का 79.8 फीसदी हिस्सा हिंदू, 14.2 फीसदी मुसलमान हैं। आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 से लेकर 2011 के दौरान मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक 24.6 रही, वहीं हिंदुओं की 16.8 फीसदी, ईसाइयों की 15.5 फीसदी, बौद्धों की 6.1 फीसदी तथा जैन की 5.4 फीसदी रही।

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