Edited By ,Updated: 16 Sep, 2015 03:43 PM
भाग्य में समय और स्थान का भी बहुत महत्व होता है। गलत स्थान पर रहने से या जाने से भी भाग्य रूठ जाता है। घर का मुख्य द्वार वह स्थान होता है जहां से केवल प्रवेश ही नहीं होता बल्कि यहीं से उज्जवल भाग्य का निर्माण भी होता है।
भाग्य में समय और स्थान का भी बहुत महत्व होता है। गलत स्थान पर रहने से या जाने से भी भाग्य रूठ जाता है। घर का मुख्य द्वार वह स्थान होता है जहां से केवल प्रवेश ही नहीं होता बल्कि यहीं से उज्जवल भाग्य का निर्माण भी होता है। शास्त्रों के अनुसार किसी भी देवी-देवता का प्रवेश घर के मुख्य द्वार से ही होता है। यदि मुख्य द्वार पर पवित्रता होगी तो घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होगा और यदि नीचे दिया गया सामान इधर-उधर बिखरा होगा तो नकारात्मक शक्तियां तो हावी होंगी ही साथ ही भाग्य को रूठते भी समय नहीं लगेगा।
घर के मेन गेट पर पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा, कांटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली नहीं लगाने चाहिए। इससे धन का नाश होता है और शत्रु भय बना रहता है। अशोक, पुन्नाग व शमी रोपित करें। तुलसी का पौधा सबसे शुभ माना गया है क्योंकि ये अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है।
मुख्यद्वार कहीं से भी टूटा, आवाज करता और बदरंग नहीं होना चाहिए। इनसे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है और वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
घर में प्रवेश करते ही बहुत से लोगों के घर में कुर्सी या छोटा सा पलंग बिछा होता है।ध्यान रहे यह दोनों चीजे टूटी हुई बिल्कुल न हो। इससे घर में अनचाही परेशानियां और आर्थिक समस्याएं आने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है।
घर में जब कोई बर्तन टूट जाता है तो उसे घर के कोने में या मुख्य द्वार की साईड पर रख दिया जाता है। जिससे की घर में अलक्ष्मी का प्रवेश हो जाता है। इससे वास्तुदोष उत्पन्न होने पर नकारात्मक फल मिलने लगते हैं।