Edited By ,Updated: 21 Sep, 2015 11:22 AM
* उत्तर या पूर्व की दीवार पर उत्तर पूर्व की ओर लगे दर्पण लाभदायक होते हैं। दर्पण के फ्रेम पर या दर्पण की पीछे लाल, सिंदूरी या महरून रंग नहीं होना चाहिए। दर्पण जितना हल्का तथा बड़े आकार का होगा उतना ही लाभदायक होगा। व्यापार तेजी से चल पड़ेगा तथा...
* उत्तर या पूर्व की दीवार पर उत्तर पूर्व की ओर लगे दर्पण लाभदायक होते हैं। दर्पण के फ्रेम पर या दर्पण की पीछे लाल, सिंदूरी या महरून रंग नहीं होना चाहिए। दर्पण जितना हल्का तथा बड़े आकार का होगा उतना ही लाभदायक होगा। व्यापार तेजी से चल पड़ेगा तथा कर्ज खत्म हो जाएगा। दक्षिण या पश्चिम की दीवार पर लगे दर्पण हानिकारक होते हैं। दक्षिणी पश्चिम, पश्चिमी -उत्तरी या मध्य भाग का चमकीला फर्श या दर्पण गहराई दर्शाता है, जो धन के विनाश का सूचक है। फर्श पर मोटी दरी, कालीन आदि बिछा कर ऋण व दिवालिएपन से बचा जा सकता है।
* पश्चिमी-दक्षिणी भाग में फर्श पर उल्टा दर्पण रखने पर फर्श ऊंचा उठ जाता है। फलत: ऋण उतर जाता है। उत्तर व पूर्व की ओर उल्टे दर्पण भूल कर भी न लगाएं, अन्यथा ऋण बढ़ता जाएगा। गलत दिशा में लगे दर्पण जबरदस्त वास्तुदोष के कारक होते हैं, अत: इस दिशा में कोई दर्पण न लगाएं और लगा हो तो हटा लें।
* बाहरी प्रदूषण, टोने-टोटकों, विभिन्न प्रकार के विघ्नों व वास्तुदोष से बचाव के लिए घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, गणेश, पाकुआ मिरर (अष्टकोणीय आईना) लगाएं।