Edited By ,Updated: 05 Jan, 2016 10:18 AM
भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बने लकड़ी और लोहे के दरवाजे और खिड़कीयां मानव जीवन पर अपना बहुत ज्यादा प्रभाव डालते हैं। इनसे
भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बने लकड़ी और लोहे के दरवाजे और खिड़कीयां मानव जीवन पर अपना बहुत ज्यादा प्रभाव डालते हैं। इनसे आने वाली वायु और रोशनी हमारे जीवन में सेहत और उन्नति के दृष्टिकोण से बड़ा प्रभाव छोड़ती हैं।
शास्त्रों के अनुसार दस दिशाओं से आने वाली ऊर्जा मानव जीवन की प्रगती और सुख तय करती है। अगर इस ऊर्जा के आने और जाने में अगर कुछ व्यवधान या अवरोध पैदा होता है तो हमारे जीवन चक्र पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिष एवं वास्तु में लोहे और लकड़ी पर शनि का अधिपत्य बताया गया है। अगर घर में इस्तेमाल हो रहे लोहे और लकड़ी के दरवाजों और खिड़कीयों के कार्य प्रणाली में कुछ समस्या हो जाए तो इसका सीधा असर व्यक्ति के कार्य क्षेत्र तथा धनार्जन और लाभ क्षेत्र पर पड़ता है। अकसर भारतीय घरों में लकड़ी अथवा लोहे की खिड़कियो का प्रयोग होता है। लकड़ी की खिड़की के पल्ले और लोहे अंजीस की सहायता से अपनी चौखट अर्थात फ्रेम से जुड़ी होती हैं अगर लकड़ी अथवा दरवाजों को बंद और खोलते समय घर्षण के कारण आवाज आती हो तो इस कारण शनि पर राहू भारी हो जाता है। यह आवाजे मूलत: अंजीरस में जंग लगने के कारण उत्पन्न होती हैं।
लोहे के लकड़ी से या लोहे के लोहे से घर्षण के कारण पैदा होने वाली ऊर्जा मंगल को जन्म देती है परंतु राहू लोहे में जंग लगाकर इस ऊर्जा में व्यवधान पैदा करता है। शास्त्रों में लोहे ,तेल और लकड़ी पर शनि का अधिपत्य होता है तथा जंग पर राहू का अधिपत्य होता है।
अगर आपके घर से भी लोहे और लकड़ी की खिड़की और दरवाजे खुलते समय चरचाने या करकाराने की आवाजे आएं तो उसका तात्पर्य आपके घर पर राहू का निवास हो गया है। जिस किसी भी घर पर शनि और मंगल के बीच राहू का निवास हो जाता है वहां दुर्भाग्य अपने पांव पसार लेता है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com