Edited By ,Updated: 14 Apr, 2020 01:35 AM
‘कोरोना वायरस’ के लगातार बढ़ते प्रकोप से समस्त विश्व में भय का माहौल बना हुआ है और अनेक लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि इसके पीछे कहीं मानव द्वारा प्रकृति से अंधाधुंध छेड़छाड़ का नतीजा तो नहीं! वैसे तो ‘मानव को धरती माता की सर्वश्रेष्ठ रचना’ माना...
‘कोरोना वायरस’ के लगातार बढ़ते प्रकोप से समस्त विश्व में भय का माहौल बना हुआ है और अनेक लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि इसके पीछे कहीं मानव द्वारा प्रकृति से अंधाधुंध छेड़छाड़ का नतीजा तो नहीं! वैसे तो ‘मानव को धरती माता की सर्वश्रेष्ठ रचना’ माना जाता है परंतु लगता है कि जैसे इसी ने प्रकृति मां को सर्वाधिक पीड़ा दी है और आज प्रकृति माता आइना दिखा रही है कि तुमने मेरी क्या हालत कर दी है!
हाल ही में आई.ए.एन.एस. तथा ‘सी वोटर गैलप इंटरनैशनल एसोसिएशन कोरोना ट्रैकर’ के एक सर्वेक्षण में लगभग 46 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि ‘‘ कोरोना वायरस का प्रकोप लोगों को प्रकृति का एक संदेश है।’’ ‘कोरोना’ के चलते हो रही मौतों के बीच यह चेतावनी हमें प्रकृति मां बार-बार विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं, बिजली गिरने से मौतों, गेहूं और सरसों की फसलों की कटाई से ठीक पहले बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि तथा भूकंपों आदि के रूप में दे रही है जिनमें से चंद निम्र में दर्ज हैं :
*04 अप्रैल को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के ‘पांडरपाणी’ गांव में आसमानी बिजली गिरने से एक लड़की की मृत्यु तथा 2 अन्य झुलस गए।
*08 अप्रैल को मध्य प्रदेश के सतना जिले के ‘सेवरी’ गांव में आसमानी बिजली गिरने से एक व्यक्ति मारा गया।
*10 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के नारायणगढ़ जिले के गांव भरंडा में आसमानी बिजली गिरने से 6 मवेशी मारे गए।
*10 अप्रैल को ही आंध्र प्रदेश के 3 जिलों अमरावती, नेल्लोर और प्रकासम में आसमानी बिजली गिरने से 10 लोग मारे गए।
*12 अप्रैल को नासिक की किनवट तहसील के पाटौदा गांव में आसमानी बिजली गिरने से 1 युवक की मृत्यु हो गई।
-6-7 अप्रैल को कर्नाटक के 9 जिलों में तेज हवाओं के साथ बेमौसमी वर्षा व ओलावृष्टि से अनेक मवेशियों की मौत के अलावा अन्य फसलों के साथ-साथ केले, आम तथा अन्य बागवानी फसलों को भारी नुक्सान पहुंचा और अनेक मकानों की छतें टूट गईं।
-07 अप्रैल को हिमाचल की पर्वत शृंखलाओं पर ताजा बर्फबारी तथा शिमला व आसपास के क्षेत्रों में भारी वर्षा से तापमान बढ़ते-बढ़ते गिर गया और लोग एक बार फिर गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हो गए।
-08 अप्रैल को बद्रीनाथ, केदारनाथ, हेमकुंट साहिब सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी हिमपात तथा निचले इलाकों में आंधी के साथ बारिश हुई।
-09 अप्रैल को रोहतांग दर्रा, सीबी रेंज और धौलाधार की ऊंची चोटियों पर भारी बर्फबारी हुई।
-21 मार्च को छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भूकंप के तेज झटके आए जिससे कुछ स्थानों पर अनेक मकानों में दरारें आ गईं।
-05 और 6 अप्रैल को असम में गुवाहाटी व राज्य के कई हिस्सों में भूकम्प आया। हाल ही में अमरीका के इदाहो में भी 6.5 तीव्रता का भूकम्प आया।
-06 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश के चम्बा तथा कांगड़ा जिलों के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। पिछले 10 दिनों में इस क्षेत्र में लगभग 25 बार भूकंप आया है जिससे अनेक मकानों में दरारें आ गईं।
-08 अप्रैल को झारखंड तथा बंगाल के कुछ हिस्सों में भूकम्प आया।
-10 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में भूकम्प के तीव्र झटके महसूस किए गए।
-11 अप्रैल को दिल्ली एन.सी.आर., नोएडा, गाजियाबाद, गुडग़ांव आदि में भूकम्प के तीव्र झटके महसूस किए गए।
मौसम के बदले हुए तेवरों से किसान भी ङ्क्षचतित हैं। बेमौसमी वर्षा और हिमपात के कारण गेहूं और सरसों की पकी हुई फसलें खराब होने के साथ-साथ इनकी कटाई भी प्रभावित हो रही है। हिमाचल में सेब सहित अन्य फलों का बौर झड़ गया है तथा ‘प्लम’ की 50 से 70 प्रतिशत फसल को हानि पहुंची है।
बिजली गिरने से मौतें तथा बार-बार आ रहे भूकंप भविष्य में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा का पूर्व संकेत भी हो सकते हैं। इसे प्रकृति मां की नारजगी नहीं तो और क्या कहेंगे! आज जब सूरज और चांद-सितारे पहले की तरह उदय और अस्त हो रहे हैं तो फिर हम अपनी मर्यादा तोड़ कर प्रकृति के विरुद्ध आचरण करके तबाही को क्यों निमंत्रण दे रहे हैं! —विजय कुमार