एक कॉमन ‘न्यूनतम राहत कार्यक्रम’ ही कोरोना से लड़ाई का सही रास्ता

Edited By ,Updated: 11 Apr, 2020 04:30 AM

a common  minimum relief program  is the right way to fight corona

एक तरफ कोरोना वायरस की चुनौती, तो दूसरी तरफ लॉकडाऊन के कारण छाने वाले आॢथक संकट के बादल भी उतने ही घने होंगे जितनी कि संक्रमण की यह महामारी। इसलिए जरूरी है कि मोदी सरकार एक ऐसा रोडमैप बनाए जो मध्यम वर्ग, छोटे व मझौलेे उद्योगों, किसानों एवं समाज में...

एक तरफ कोरोना वायरस की चुनौती, तो दूसरी तरफ लॉकडाऊन के कारण छाने वाले आॢथक संकट के बादल भी उतने ही घने होंगे जितनी कि संक्रमण की यह महामारी। इसलिए जरूरी है कि मोदी सरकार एक ऐसा रोडमैप बनाए जो मध्यम वर्ग, छोटे व मझौलेे उद्योगों, किसानों एवं समाज में हाशिए पर रहने वालों का जीवन बहाल करने बारे मार्गदर्शन व आर्थिक स्वावलंबिता की धुरी बने।

सहयोग व राहत के लिए राज्य अनेक उपाय लेकर आगे आएंगे, लेकिन केंद्र सरकार को अलग-अलग आर्थिक सामथ्र्य वाले राज्यों के बीच समानता, आप्टीमाइजेशन एवं सामंजस्य सुनिश्चित करना होगा। कांग्रेस पार्टी ने कोविड-19 एवं उसके बाद छाने वाले आर्थिक संकट का सामना करने के लिए केंद्र सरकार को विभिन्न सुझाव दिए हैं। अपने सुझावों में हमने सरकार को जोखिम के दायरे में रहने वाले लोगों को राहत देने बारे विस्तार से विवरण दिया है। चलिए देखते हैं कि एक कॉमन न्यूनतम राहत कार्यक्रम लागू करने के लिए सरकार को किन श्रेणियों व क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है। 

दैनिक मजदूर, श्रमिक एवं प्रवासी मजदूरों पर आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा का सर्वाधिक जोखिम है। उन्हें बड़े पैमाने पर पलायन एवं आॢथक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अनिश्चितकाल तक बेरोजगारी व अभाव का सामना करने में समर्थ बनाने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा चक्र अति महत्वपूर्ण है। पिछले हफ्ते आठ नैशनल ट्रेड यूनियंस ने मोदी सरकार को पत्र लिख रोजगार व रोजी-रोटी को हुए नुक्सान को रोकने के लिए कई सुझाव दिए। इसके साथ-साथ मजदूरों को नौकरी से हटाए जाने से सुरक्षा देने की मांग भी की। उन्होंने असंगठित क्षेत्र के सदस्यों (चाहे पंजीकृत हों या अपंजीकृत) को एक मजबूत नकद व खाद्य वितरण व्यवस्था की सुरक्षा देने को भी कहा। किसानों को तत्काल सहयोग दिए जाने की अत्यधिक आवश्यकता है। 

अनिश्चित मौसम की मार झेलने के बाद गेहूं, सरसों एवं अन्य रबी फसलें कटाई के लिए तैयार हैं लेकिन लॉकडाऊन के चलते खेतों में मजदूर न मिलने की समस्या, खरीद व्यवस्था का अभाव व एजैंसियों एवं मूल्यों के बारे अनिश्चितता के चलते देश का किसान अधर में लटक गया है। खेती, अर्थव्यवस्था एवं देश के नागरिकों के लिए अन्न सुनिश्चित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। अगर समय रहते किसान की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदी गई तो मौजूदा संकट का देश में खाद्य सुरक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। यह समस्या खरीफ की फसल की बिजाई तक न बनी रहे, इसके लिए केंद्र सरकार को अगली खरीफ फसल की बुवाई के लिए भी खाद, बीज, कीटनाशक दवाई, सस्ता कर्ज एवं अन्य इनपुट की तत्काल व्यवस्था करनी होगी। 

इस संकट के समाधान के लिए दो रास्ते हैं। पहला, न्यूनतम आय गारंटी योजना यानी ‘न्याय योजना’ उन लोगों को फाइनांशियल एवं मानसिक सुरक्षा देगी जिनके पास लॉकडाऊन के कारण आय के अन्य साधन नहीं बचे। केंद्र सरकार को यह योजना लागू करनी चाहिए। दूसरा स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बल देते हुए विस्तृत फाइनांशियल पैकेज के साथ हमारी मैन्युफैक्चरिंग एवं उत्पादन की नीतियों को मजबूत करना होगा। हर संकट में अवसर छिपे होते हैं। हमें अपनी मैन्युफैक्चरिंग की कार्य योजनाओं को पुन: निर्धारित कर विदेशी मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भरता कम करनी होगी, नई नौकरियों का सृजन करना होगा तथा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना होगा। पिछले बीस दिनों में मिले अनुभव का लाभ लेकर हमें इन नीतियों के साथ आगे बढऩा चाहिए। भारत में इस चुनौती से जीत कर और मजबूत बनकर खड़े होने की प्रतिभा व सामथ्र्य है। इंतजार अब केवल मोदी सरकार द्वारा इच्छाशक्ति जुटाने का है।-रणदीप सिंह सुर्जेवाला(कांग्रेस प्रवक्ता )

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