‘परिवर्तन के सही मार्ग पर भारतीय रेलवे’

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2021 03:46 AM

indian railways on right path of change

सदी की चुनौती जिसका कोविड के रूप में एक बार मानवता ने सामना किया, उसने उपभोक्ताओं और व्यवसायों दोनों को बुनियादी स्तर पर बदलकर रख दिया है। बजट को तैयार करना हमेशा एक कठिन कार्य रहा है। लॉकडाऊन के कारण उत्पन्न चुनौती

सदी की चुनौती जिसका कोविड के रूप में एक बार मानवता ने सामना किया, उसने उपभोक्ताओं और व्यवसायों दोनों को बुनियादी स्तर पर बदलकर रख दिया है। बजट को तैयार करना हमेशा एक कठिन कार्य रहा है। लॉकडाऊन के कारण उत्पन्न चुनौती की ओर भारतीय रेलवे ने विशेष ध्यान दिया क्योंकि इसके परिणामस्वरूप यात्री ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ था और साथ ही आमदनी पर भी असर पड़ा। 

आलोचकों का कहना है कि भारतीय रेलवे का परिचालन अनुपात बिगड़ गया है और आर्थिक रूप से अस्थिर हो गया है। पिछले दशकों में, भारतीय रेलवे को कई बार इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है और हर बार उसने मजबूती के साथ वापस उभर कर आलोचकों के मुंह बंद कराए हैं। 

भारतीय रेलवे की समस्याओं से समितियां अच्छी तरह वाकिफ हैं। भारतीय रेलवे अपने में परिवर्तन करके नयापन ला रही है। चाहे वह नौकरशाही का मोटा ढांचा हो या मोटे ढांचे या ‘किसी प्रकार की जिम्मेदारी’ उठाने की मानसिकता रही हो। रेल भवन में हाल के सुधारों ने न केवल मुद्दों की पहचान की है, बल्कि उनका तत्काल समाधान किया है। बोर्ड के पुनर्गठन ने दशकों पुरानी विभागीय मानसिकता को समाप्त कर दिया है। किसी को भी उन सुधारों पर भी ध्यान देना चाहिए जो स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए विपत्तियों और कमियों का विश्लेषण करते हुए भारतीय रेलवे ने किए हैं। 

रेलवे की आमदनी पर वापस आते हैं। यह सच है कि भारतीय रेलवे को हाल के दिनों में वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। लेकिन ऐसा उसी समय हुआ है जब नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया है। व्यवसाय में अल्पकालिक समाधानों पर विचार नहीं कर सकते और करना भी नहीं चाहिए। एक बिंदू से परे माल भाड़े में वृद्धि करना भारतीय रेलवे और अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिकूल है। 

भारतीय रेलवे हाल तक अपनी राजस्व प्राप्तियों से अपने राजस्व व्यय को पूरा कर रही थी। महामारी या आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के कारण उत्पन्न कोई भी अल्पकालिक अंतराल रेलवे को खारिज करने का कारण नहीं हो सकता है। यहां तक कि जब सभी कार्यों को रोक दिया गया था और कोई आमदनी नहीं हो रही थी, तब भी रेलवे ने वेतन, पैंशन, पट्टे का शुल्क आदि के मद में अपने सभी बकाया का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया। 

रेलवे का व्यय सर्वश्रेष्ठ तरीके से किए जाने के लिए उसकी सराहना की जानी चाहिए। सरकार द्वारा समय पर नीतिगत हस्तक्षेपों के कारण भारतीय रेलवे ने बचाव और सुरक्षा से समझौता किए बिना, आर.ई. में कुछ हद तक सहायता के साथ 22,000 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान लगाया है। 

विद्युतीकरण पर अतीत में किया गया निवेश पहले से ही शानदार लाभांश का भुगतान कर रहा है। उम्मीद है कि बड़ी लाइन (ब्रॉड गेज)वाले मार्गों के विद्युतीकरण के माध्यम से 14,500 करोड़ रुपए की बचत होगी। बहु-कार्यों और जनशक्ति संसाधनों का बेहतर उपयोग बड़े पैमाने पर उत्पादकता लाभ में मदद कर रहा है। जबकि आर.ई. ने 96.96 प्रतिशत के संचालन अनुपात का अनुमान लगाया है, यह अल्पकालिक संसाधन अंतर को पूरा करने के लिए वित्त मंत्रालय से प्राप्त सहयोग के कारण है। सरकार द्वारा विस्तारित समर्थन यह सुनिश्चित करेगा कि रेलवे वित्तीय रूप से व्यवहार्य रहे और तेजी से अग्रिम का भुगतान करने में सक्षम हो। 

कोविड-19 द्वारा उत्पन्न बेजोड़ चुनौतियों ने रेलवे की दृढ़ता को मजबूत किया है ताकि बाधाओं के बावजूद असाधारण चौतरफा प्रदर्शन सुनिश्चित हो सके। ट्रेनों से माल की आवाजाही ऐसे रिकॉर्ड तोड़ रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ और व्यवसाय के क्षेत्र में विकास प्रत्येक दिन नए आयाम छू रहा है।

डिवीजन और जोनल स्तरों पर व्यवसाय विकास इकाइयों (बिजनैस डिवैल्पमैंट यूनिट्स-बी.डी.यू.) का गठन, मालगाडिय़ों की गति दोगुनी कर 23 कि.मी. प्रति घंटा से 46 कि.मी. प्रति घंटा, समयबद्ध पार्सल ट्रेनों की शुरूआत और रियायतों सहित वर्तमान माल भाड़े को युक्तिसंगत बनाने से माल लादने की विधि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ट्रेन की गति बढ़ाना ग्राहक के दृष्टिकोण से संपत्ति के उपयोग के लिए एक बेहतर संकेतक है। नई प्रौद्योगिकियों के नियोजित पूंजीगत व्यय और नई प्रौद्योगिकियों की शुरूआत से परिसंपत्तियों का बेहतर और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित होगा।-नरेश सलेचा रेलवे बोर्ड सदस्य (वित्त)

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