बैंकों का सकल NPA 2023-24 के अंत तक 4% से कम हो सकता है: अध्ययन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Mar, 2023 11:08 AM

gross npas of banks may come down to less than 4 by the end

भारतीय बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों या खराब ऋण में वित्तवर्ष 2022-23 में 0.90 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है और इस दौरान यह घटकर पांच प्रतिशत से कम रह जाएगा। एसोचैम-क्रिसिल रेटिंग के अध्ययन में बृहस्पतिवार को यह अनुमान जताया गया।

नई दिल्लीः भारतीय बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों या खराब ऋण में वित्तवर्ष 2022-23 में 0.90 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है और इस दौरान यह घटकर पांच प्रतिशत से कम रह जाएगा। एसोचैम-क्रिसिल रेटिंग के अध्ययन में बृहस्पतिवार को यह अनुमान जताया गया। अध्ययन में यह भी कहा गया कि बैंकों का सकल एनपीए 31 मार्च 2024 तक घटकर दशक के सबसे निचले स्तर चार प्रतिशत से भी कम हो सकता है। 

अध्ययन ने सकल गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में गिरावट के लिए कोविड बाद के आर्थिक सुधारों और उच्च ऋण वृद्धि को जवाबदेह बताया है। इसमें कहा गया कि सबसे बड़ा सुधार कॉरपोरेट ऋण खंड में होगा, जहां सकल एनपीए 31 मार्च, 2018 को लगभग 16 प्रतिशत था और इसके अगले वित्त वर्ष में घटकर दो प्रतिशत तक होने की संभावना है। 

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ‘‘यह हाल के वर्षों में बैंकों द्वारा खातों को दुरुस्त करने के साथ ही मजबूत जोखिम प्रबंधन और अंडरराइटिंग को दर्शाता है, जिसके कारण बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल वाले उधारकर्ताओं को ऊंची वरीयता मिली है।'' उन्होंने कहा कि दोहरे बही-खाते की समस्या का काफी हद तक समाधान कर लिया गया है और ऐसे में ऋण वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। सूद ने कहा, ‘‘लगातार वैश्विक चुनौतियों के बीच भी हमारा बैंकिंग क्षेत्र काफी मजबूत है।'' 

अध्ययन में कहा गया कि महामारी के दौरान सबसे अधिक पीड़ित रहने वाले एमएसएमई खंड में सकल एनपीए मार्च 2024 तक बढ़कर 10-11 प्रतिशत हो सकता है, जो 31 मार्च 2022 को लगभग 9.3 प्रतिशत था। 

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