Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jan, 2023 04:05 AM

लोहड़ी का संबंध कई ऐतिहासिक कहानियों के साथ जोड़ा जाता है पर इससे जुड़ी प्रमुख लोककथा दुल्ला-भट्टी की है जो मुगलों के समय का बहादुर योद्धा था, जिसने मुगलों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
What is the story behind Lohri: लोहड़ी का संबंध कई ऐतिहासिक कहानियों के साथ जोड़ा जाता है पर इससे जुड़ी प्रमुख लोककथा दुल्ला-भट्टी की है जो मुगलों के समय का बहादुर योद्धा था, जिसने मुगलों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ कदम उठाया। कहा जाता है कि एक ब्राह्मण की दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी के साथ इलाके का मुगल शासक जबरन शादी करना चाहता था पर उनकी सगाई कहीं और हुई थी और मुगल शासक के डर से उन लड़कियों के ससुराल वाले शादी के लिए तैयार नहीं हो पा रहे थे।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

Mythological Story of Lohri: इस मुसीबत की घड़ी में दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की और लड़के वालों को मनाकर एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी एव मुंदरी का विवाह करवाया। दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया। कहावत है कि दुल्ले ने शगुन के रूप में उन दोनों को शक्कर दी थी। इसी कथनी की हिमायत करता लोहड़ी का यह गीत है जिसे लोहड़ी के दिन गाया जाता है।
‘सुंदर-मुंदरिए हो, तेरा कौन बेचारा हो
दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले ने धी ब्याही हो।
सेर शक्कर पाई-हो कुड़ी दा लाल पटाका हो।
कुड़ी दा सालू फाटा हो-सालू कौन समेटे हो।
चाचा चूरी कुट्टी हो, जमींदारा लुट्टी हो।
जमींदार सुधाए-हो, बड़े पोले आए हो
इक पोला रह गया-हो, सिपाही फड़ के लै गया हो
सिपाही ने मारी ईंट, भावें रो भावें पिट,
सानंू दे दो लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी।’
‘साडे पैरां हेठ रोड़, सानूं छेती-छेती तोर,
साडे पैरां हेठ दहीं, असीं मिलना वी नईं,
साडे पैरां हेठ परात, सानूं उत्तों पै गई रात
दे माई लोहड़ी, जीवे तेरी जोड़ी।’
lohri kahani dulla bhatti: दुल्ला-भट्टी की जुल्म के खिलाफ मानवता की सेवा को आज भी लोग याद करते हैं और उस रात को लोहड़ी के रूप में सत्य और साहस की जुल्म पर जीत के तौर पर मनाते हैं।

What is the significance of Lohri festival: इस त्यौहार का संबंध फसल के साथ भी है। इस समय पर गेहूं और सरसों की फसलें अपने यौवन पर होती हैं।
Lohri Festival Special Punjabi Songs: परम्परा अनुसार लोहड़ी के दिन गांव के लड़के-लड़कियां अपनी-अपनी टोलियां बनाकर घर-घर जाकर गाते हुए लोहड़ी मांगते हैं ‘दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी, दे माई पाथी, तेरा पुत चढ़ेगा हाथी’ आदि प्रमुख हैं। लोग उन्हें लोहड़ी के रूप में गुड़, रेवड़ी, मूंगफली तिल या पैसे देते हैं। अग्नि में तिल डालते हुए ‘ईशर अए दलिदर जाए, दलिदर दी जड़ चुल्हे पाए’ बोलते हुए अच्छे स्वास्थ की कामना करते हैं।
