Namkaran Sanskar: अपने बच्चे के नाम को बनाएं उसकी पहचान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jun, 2022 12:53 PM

namkaran sanskar

यथा नाम तथा गुण अर्थात जैसा नाम होगा वैसा ही गुण भी होता है। यदि किसी व्यक्ति का नाम ही शैतान सिंह हो तो सर्वप्रथम मन में यही आकृति उभरती है कि व्यक्ति बहुत ही क्रूर एवं नृशंस होगा।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Baby name calculator: यथा नाम तथा गुण अर्थात जैसा नाम होगा वैसा ही गुण भी होता है। यदि किसी व्यक्ति का नाम ही शैतान सिंह हो तो सर्वप्रथम मन में यही आकृति उभरती है कि व्यक्ति बहुत ही क्रूर एवं नृशंस होगा। ठीक उसके विपरीत यदि किसी का नाम निर्मल चैतन्य हो तो नाम से ही उसकी छवि बनने लगती है। अत: नामकरण संस्कार अति आवश्यक है। सोलह संस्कारों में से नामकरण संस्कार का अपना एक विशेष महत्व है क्योंकि किसी भी पदार्थ में उसका नाम महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चिरकाल से यह प्रथा चली आ रही है कि किसी भी व्यक्ति अथवा पदार्थ विशेष का वैसा ही नाम हो जो कि अधिकतम सीमा तक उसके गुण-अवगुणों को प्रकट करने की शक्ति रखता हो। 

PunjabKesari Namkaran Sanskar

हमारा संसार देखा जाए तो नाम रूपात्मक है जहां राम, कृष्ण, शिव, सीता, ईसा, गुरु नानक आदि मर्यादा के आदर्शपालक होने के कारण स्वत: प्रत्येक प्राणी के मन में रमण करने लगते हैं। वहीं रावण, कंस, भस्मासुर, मंथरा, कैकेयी आदि नाम सुनते ही मन विशाक्त हो उठता है।

तात्पर्य यह है कि आर्य जाति में नामकरण से पूर्व गुण-अवगुण तथा चरित्र का खूब अच्छी तरह से विचार कर लिया जाता था। 
यथा नाम चारित्रिक गुण भी व्यक्ति में वैसे ही भर जाते थे। यदि किसी अल्प बुद्धि बालक को धूर्त कहीं का, पागल, भैंसा, गुड़गोबर सिंह, काहिल, सुअर, पाजी आदि उपनामों से निरंतर संबोधित किया जाता है तो कुछ समय बाद वह उक्त नाम जैसे ही व्यवहार करने लगता है अर्थात वैसा ही बन जाता है। 

कायरता, वीरता, प्रेम रस, भक्ति रस आदि के प्रतीक किसी प्राचीन चरित्र का नाम यदि नियमित रूप से किसी के लिए प्रयोग किया जाता है तो उस चरित्र की छवि नाम के साथ हृदय में उतरने लगती है। तदनुसार व्यवहार करने के लिए उन्हें प्रेरित भी करती है तथा भक्ति में यथा नाम गुण समाहित होने लगते हैं।

व्यक्ति के भविष्य निर्माण में नाम एक प्रमुख भूमिका निभाता है। नाम की सार्थकता के साथ-साथ उसमें ध्वनि सौंदर्य का भी ध्यान रखना चाहिए। कोई नाम भले ही सुंदर से सुंदर अर्थ वाला हो यदि उसके उच्चारण में क्लिष्टता के कारण कठिनाई आती है तो वह नाम लोकप्रिय नहीं हो पाता। 

सैंकड़ों फिल्मी कलाकारों के बदले हुए नाम इस बात की स्वत: पुष्टि कर देंगे। उदाहरण के लिए दिलीप कुमार, प्रदीप कुमार, किशोर कुमार, निम्मी, मधुबाला, मीना कुमारी, लता, माधुरी, नौशाद आदि। 

आज स्वयं कुमार गंधर्व, उस्ताद अलाउद्दीन खां आदि उच्च स्तर के कलाकार हैं परन्तु उनके आगे दो, तीन अथवा चार अक्षर के नाम वाले कलाकार कहीं अधिक चर्चित हैं। 

शास्त्रकारों ने इसीलिए नाम चयन के लिए कुछ वैज्ञानिक तथा विवेचनात्मक नियम सुनिश्चित किए हैं। इस सबका वर्णन सर्वथा ध्वनि विज्ञान तथा मनोविज्ञान की भित्ति पर किया गया है। 

PunjabKesari Namkaran Sanskar

सुझाव दिया गया है कि दो, तीन अथवा चार अक्षर वाले ऐसे नाम रखे जाएं जिनके अंत में ग, ध, झ, ड, ढ, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह में से कोई अक्षर होना चाहिए। मध्य में य, र, ल, व में से कोई अक्षर हो और अंत में दीर्घ स्वर ‘संयुक्त’, ‘कृदन्त’ नाम रखें, ‘तद्धित’ नहीं।

स्त्रियों के नाम विषम अक्षर के अकारान्त होने चाहिएं जिससे पुरुष की तुलना में उनसे अधिक कोमलता ध्वनित हो। 
‘कृदन्त’ का अर्थ है धातुओं से बने हुए शब्द जैसे राम, चंद्र प्रकाश, आनंद आदि शब्द रमु, चदि, कासृ नदि आदि धातुओं के उपरोक्त शब्द आए। 

‘तद्धित’ का अर्थ है संज्ञावाचक शब्दों से विकृत होकर बने शब्द जैसे पांडव, वासुदेव, भगवान, दयालु-कृपालु आदि। यह पांडु, वसु, भग, दया, कृपा आदि शब्दों से तद्धत प्रत्यय लगाकर बने शब्द हैं। ‘तद्धित’ नाम क्लिष्ट होने के कारण ही त्याज्य माने गए हैं।
नाम कैसा हो?

अक्षरों में बड़ी शक्ति होती है, बीज मंत्रों की शक्ति उन्हीं बीजाक्षरों में निहित होती है, प्रत्येक अक्षर का अपना अलग-अलग प्रभाव होता है। 

दूरदृष्टि सम्पन्न गुरु ही बता सकते हैं कि किस बालक के लिए कौन-सा अक्षर अथवा वर्ण उपयुक्त रहेगा, कितना बड़ा उसका नाम उचित रहेगा आदि। 

आजकल बच्चों के नाम गुड्डु, पिंटू, रिंकू, पप्पू, मुन्ना आदि रख दिए जाते हैं, जो बाद में व्यक्ति के साथ बड़े होने पर चिपक जाते हैं, जिसका उसके अदृश्य रूप में व्यक्त्तिव पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। 

इस प्रकार के निरर्थक नाम ही नहीं रखने चाहिएं। वेदों में नामकरण को भी एक वैज्ञानिक प्रक्रिया माना गया है। जन्म से 11वें दिन, 101वें दिन या एक वर्ष हो जाने पर नामकरण संस्कार करें।

Namkaran Sanskar mantra नामकरण संस्कार मंत्र
।।ॐ श्रीं (अमुक) वेदोअसि वेदो भूया: ॐ नम:।।

बालक को यथासम्भव गुरु प्रदत्त नाम द्वारा ही संबोधित करें नामकरम का अत्यंत महत्व होता है, किसी वृहद ग्रंथ के सैंकड़ों पृष्ठों में किस विषय पर लिखा गया है, यह मात्र पुस्तक पर छपे नाम मात्र से ही ज्ञात हो जाता है इसलिए नाम इस पुस्तक का अथवा उस व्यक्ति का प्रतिबिम्ब है। 

PunjabKesari Namkaran Sanskar

 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!