Vikram Samvat 2080: नवसंवत्सर 2080 में होंगे 12 नहीं बल्कि 13 मास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Mar, 2023 09:59 AM

vikram samvat

प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा को सूर्य देव की पहली किरण द्वारा नव संवत (हिन्दू संवत) का अभिनंदन किया जाता है। नववर्ष के आगमन पर नवीनता का एहसास कराती प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती है। मौसम में बदलाव आता है, पेड़ों पर नए पत्ते, रंग-बिरंगे फूल और

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Hindu Nav Varsh 2023: प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा को सूर्य देव की पहली किरण द्वारा नव संवत (हिन्दू संवत) का अभिनंदन किया जाता है। नववर्ष के आगमन पर नवीनता का एहसास कराती प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती है। मौसम में बदलाव आता है, पेड़ों पर नए पत्ते, रंग-बिरंगे फूल और सुरमयी शाम प्रकृति को शोभायमान करती है। इस दिन से रातों की अपेक्षा दिन बड़े होने लगते हैं।

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इस दिन पवित्र नवरात्रों का भी शुभारंभ होता है। सतयुग का आरंभ भी प्रतिपदा तिथि से ही माना जाता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। भगवान विष्णु जीव रूप में अवतरित हुए, स्वामी दयानंद जी ने आर्य समाज की स्थापना की और सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव जी का जन्म भी इसी दिन हुआ था।

यह हिन्दू कैलेंडर नेपाल का राष्ट्रीय कैलेंडर है। भारतीय अपने त्यौहारों, व्रत, मुर्हूत, महापुरुषों की जयंतियों संबंधी जानकारी के लिए इसी का प्रयोग करते हैं। हिन्दू कैलेंडर हमें अपने संस्कारों के साथ जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता है। इस बार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस नवसंवत्सर में 13 मास होंगे क्योंकि श्रावण मास ‘अधिक मास’ यानी 60 दिन का होगा।

प्रतिपदा या प्रथम नवरात्र के दिन हम हवन यज्ञ और विश्व शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह हिन्दू संवत, महाराज विक्रमादित्य द्वारा 57 ईसा पूर्व में प्रचलन में लाया गया। यह ईस्वी वर्ष से 57 वर्ष आगे चलता है।

शक संवत भी एक ऐतिहासिक हिन्दू कैलेंडर है और 1957 में राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में स्वीकार किया गया। इसकी शुरुआत 78 ईस्वी में हुई थी। इसे ‘सौर कैलेंडर’ भी कहा जाता है। यह सूर्य के गिर्द धरती की गति पर आधारित है, जो 365 दिन 6 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है। विक्रम संवत 12 चंद्रमास और 365 सौर दिनों पर आधारित है।

जो नव वर्ष हम 1 जनवरी को मनाते हैं, वह ग्रेगोरियन कैलेंडर का नव वर्ष है, जिसकी शुरुआत 1582 में हुई थी।    

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