Edited By Varsha Yadav,Updated: 02 May, 2024 01:30 PM
'रणनीति: बालाकोट एंड बियॉन्ड' सीरीज के बारे में हाल ही में जिमी शेरगिल और निर्देशक संतोष सिंह ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।
नई दिल्ली। बालाकोट एयर स्ट्राइक को पूरे पांच साल हो चुके हैं, लेकिन यह दिन आज भी हर भारतीय को याद है और भूले भी भला कैसे? इस दिन भारत ने पाकिस्तान में घुसकर पुलवामा अटैक का मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस मिशन को वैसे तो दर्शक कई फिल्मों में देख चुके हैं लेकिन मिशन के पीछे की रणनीति क्या थी और उस पर कैसे अमल किया गया, इसे हाल ही में रिलीज हुई सीरीज 'रणनीति: बालाकोट एंड बियॉन्ड' में गहराई से दिखाया है। संतोष सिंह द्वारा निर्देशित इस सीरीज में लारा दत्ता और जिम्मी शेरगिल के अलावा आशीष विद्यार्थी, आशुतोष राणा, प्रसन्ना जैसे अभिनेता लीड रोल में हैं। सीरीज के बारे में हाल ही में जिमी शेरगिल और निर्देशक संतोष सिंह ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
जिमी शेरगिल
Q. किसी पटकथा का चयन करते समय आपके दिमाग में क्या रणनीति होती है?
-मुझे पढ़ने का बहुत शौक है तो अगर मुझसे कोई कहता भी है कि आपको नरेशन देना है तो मैं कहता हूं कि आप मुझे पटकथा, दीजिए मैं पढ़ लूंगा। मैं पहले पढूंगा और फिर आप मुझे नरेशन भी दे देना। जब पढ़ते-पढ़ते मुझे पटकथा अच्छी लगती है, मुझे लगता है कि इसे करने में मजा आएगा तो अगली चीज यह होती है कि मेकर्स कौन हैं, बना कौन रहा है। यह जिस तरह से समझ आ रही है, वैसी बनेगी या नहीं। जब ये सारी चीजों से मैं संतुष्ट होता हूं तो जी-जान से उस काम में लग जाता हूं।
Q. संतोष सिंह के साथ आपने पहली बार काम किया तो ऐसे में इनके बारे में क्या चीजें आपको पसंद आई?
-मुझे लगता है जिस तरह से मेरे किरदार के बारे में चीजें इनके दिमाग में चलती हैं, जिस ढंग से इन्होंने मेरे किरदार के बारे में मुझे बताना शुरू किया, उस समय से ही मुझे मजा आने लगा। मैं उसे रिलेट करने लगा। मुझे लगा कि चीजें तो यार कमाल हैं। यह सब कहां से सोचा, किधर से लेकर आए। निर्देशक आपको आपके किरदार के बारे में बहुत गहराई से बताता है, तब आपको लगता है कि आप सही हाथों में हैं। खासकर जब पटकथा बहुत अच्छी हो। ‘रणनीति’ ऐसी कहानी है, जो दूसरे नजरिए से बोली जा रही है। ये बननी बहुत जरूरी है। पटकथा पढ़कर जो चीजें मैंने विस्तार से जानी, मैं हैरान था। मुझे लगा यह ऐसी कहानी है जो कही जानी चाहिए।
Q. आप किसी भी किरदार में बिल्कुल ढल जाते हैं, ये इतनी आसानी से कैसे कर लेते हैं?
ऐसा एक दिन या रात में नहीं होता है। कई बार टीम के साथ मीटिंग होती है तो इस तरह धीरे-धीरे चीजें आपके अंदर जाती हैं। इस शो में कई हफ्तों तक इस लुक को लेकर हमारे ट्रायल हुए। कई सारे लुक टैस्ट हुए। आखिर में जाकर जो शो में लुक दिख रहा है, वो फाइनल हुआ। ऐसे ही बाकी रोल के साथ होता है। करते-करते ही टीम के साथ बातचीत करते हुए फिर उस किरदार के लिए पूरी तरह से तैयार होते हैं।
Q. आपने स्टारडम का भी एक फेज देखा है लेकिन सोशल मीडिया के समय में स्टारडम जैसी चीजें बदल गई हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
स्टारडम तो एक अलग बात है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के दौर में युवाओं पर दबाव बढ़ गया है क्योंकि उन्होंने एक माइंडसेट बना लिया है कि ऐसा दिखना है या ऐसा करना है। कुछ पोस्ट भी करना है। रोज कुछ न कुछ नया करते हुए अपडेटेड रहना है। हम लोगों के पास तो ऐसा कुछ भी नहीं था। अब चीजें काफी बदल गई हैं। कई चीजों में अब हमें युवाओं से सलाह भी लेनी पड़ती है।
संतोष सिंह
Q. इस विषय को लेकर पहले भी फिल्में बनी हैं तो इसमें क्या कुछ नया और खास होगा?
बालाकोट एयर स्ट्राइक की कहानी तो हर किसी को पता ही है। हम सभी ने इसके बारे में पढ़ा भी है और खबरें भी देखी हैं, लेकिन उसके पीछे क्या योजना थी, क्या हुआ था, किस तरह उसे किया गया, वो किसी को नहीं पता। इसके बारे में हमें पता है लेकिन इसके पीछे की कहानी हमें नहीं पता। कौन-से लोग उसमें जुड़े हुए थे, ये कभी किसी को मालूम नहीं पड़ता। यही चीजें हैं जो इस कहानी को अलग करती हैं। यही सबसे दिलचस्प चीज है। इस तरह से पहले किसी ने नहीं बताया है। एक निर्देशक के नाते एक जिम्मेदारी होती है कि ये चीजें लोगों के सामने आएं ताकि उनमें जागरूकता बने।
Q. क्या फिल्म की कास्टिंग आपने खुद की थी?
जिमी सर के बारे में तो पता ही था। बड़े और मंझे हुए कलाकार हैं। ये था कि जिमी सर से मिलकर उन्हें कहानी बतानी है और इसके साथ-साथ उन्हें राजी भी करना था कि कहीं मना न कर दें। मेरे दिमाग में था कि सर को राजी करना मुश्किल होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। हम 10-15 मिनट के लिए मिले। इन्हें कहानी अच्छी लगी और इन्होंने कहा कि पटकथा भेज दीजिए, मैं पढ़कर बताऊंगा। अगले दिन सर का कॉल आया तो मैं थोड़ा डरा हुआ था लेकिन उन्होंने कहा कि ये बहुत अच्छी पटकथा है। मजा आ गया पढ़ने के बाद और इसे करना पड़ेगा।
Q. सोशल मीडिया के समय में क्या आप युवाओं या अपनी बेटी से कोई सलाह लेते हैं?
आजकल के जो युवा और बच्चे हैं, वह बहुत समझदार हैं तो उनसे सलाह लेने की जरूरत नहीं पड़ती है, वो खुद ही आपको सलाह देते हैं। मेरी बेटी 7 साल की है। उसको जब पता चला कि मैं इंटरव्यू के लिए जा रहा हूं तो उसने मुझसे कहा कि पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब देना और हिचकिचाना नहीं। एक बार वो शूटिंग पर भी आई तो एक सीन में टोककर उसने मुझसे कहा कि आप सबको कंफ्यूज कर रहे हैं।