Edited By Tanuja,Updated: 06 Jun, 2023 03:50 PM

कई देशों की यात्रा कर चुकी जैमल कौर सिंह अपनी एक पुस्तक के जरिए बड़े रोचक तरीके से बच्चों को विश्व संस्कृति के बारे में जागरूक कर...
इंटरनेशनल डेस्कः कई देशों की यात्रा कर चुकी जैमल कौर सिंह अपनी एक पुस्तक के जरिए बड़े रोचक तरीके से बच्चों को विश्व संस्कृति के बारे में जागरूक कर रही हैं। जैमल कौर सिंह की इस पुस्तक का नाम है 'द वर्ल्ड इज अवर प्लेग्राउंड' यानि विश्व हमारा खेल का मैदान । जैमल कौर के अनुसार इनकी इस पुस्तक श्रृंखला के जरिए छात्र विभिन्न देशों की संस्कृति को जान और समझ सकते हैं। 'द वर्ल्ड इज अवर प्लेग्राउंड' पुस्तक की खास बात यह है कि यह छात्रों में दुनिया के विभिन्न देशों के कल्चर व संस्कृति को जानने के बारे में जागरूकता और उत्सुकता पैदा करती है। जैमल कौर, जिन्होंने सांस्कृतिक नवाचारों से दूसरों को शिक्षित करने में लगभग 25 साल बिताए हैं, ने इस पुस्तक में अपने ऑस्ट्रेलियाई भाई-बहन नानक और तारा की यात्राओं को बहुत रोचक व शानदार तरीके लिखा व चित्रित किया है।

जैमल कौर ने एक चैनेल को दिए इंटरव्यू में कहा- "मैंने युवा छात्रों के बीच वैश्विक संस्कृति के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 'द वर्ल्ड इज अवर प्लेग्राउंड' पुस्तक श्रृंखला बनाई है। नानक और तारा के वियतनाम और फ्रांस यात्रा की दो किताबें पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं, जबकि उनके फिलीपींस और ग्रीस के दौरों को लेकर श्रृंखला का प्रकाशन अभी बाकी है । जैमल कौर ने बताया कि पहली किताब में उसने मेलबोर्न में रहते भाई-बहन नानक और तारा की भाषा, भोजन, लोगों, संस्कृति और परंपराओं की खोज के लिए वियतनाम की यात्रा का वर्णन किया है। वह कहती हैं कि इन किताबों का उद्देश्य "उन देशों का सांस्कृतिक संकट कम करना है जहां लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत को नकार रहे हैं।"

जैमल द्वारा लिखित, रोनाल्ड सैंटोस द्वारा चित्रित और जोहाना मैरी फेरर द्वारा संपादित 'द वर्ल्ड इज अवर प्लेग्राउंड' पुस्तक पांच से सात साल के बच्चों और उनके शिक्षकों के लिए डिज़ाइन की गई है। दूसरी किताब में दोनों भाई- बहन युगल क्रोइसैन और एस्केरगोट खाने के लिए फ्रांस की यात्रा करते हैं। जैमल कौर बताती हैं कि "नानक और तारा की यात्रा लोगों के बीच मतभेदों और समानताओं का पता लगाने के लिए जारी है"। जैमल कौर सिंह अपने पिता दिया सिंह के साथ बचपन से ही विश्व भ्रमण कर चुकी हैं।

वह कहती हैं कि छोटी उम्र से ही उन्हें और उनकी बहनों में सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सम्मान के मूल्यों की जानकारी है और इस सब का श्रेय वह अपने माता- पिता को देती हैं। उन्होंने कहा- "मैं बहुत से ऐसे लोगों को जानती हूं जो अपनी संस्कृति को भुला चुके हैं। इस पुस्तक श्रृंखला का उद्देश्य मोबाइल की दुनिया में खो चुके बच्चों में सांस्कृतिक रूचि पैदा करना है"।