Edited By Mahima,Updated: 10 Jul, 2024 02:53 PM
भारत को आस्था का केंद्र कहा जाता है, और यहां कई रहस्यमयी मंदिर हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। हर साल यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आयोजित की जाती है, जो इस बार 1 जुलाई से शुरू होकर 12 जुलाई तक चलेगी।
नेशनल डेस्क: भारत को आस्था का केंद्र कहा जाता है, और यहां कई रहस्यमयी मंदिर हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। हर साल यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आयोजित की जाती है, जो इस बार 1 जुलाई से शुरू होकर 12 जुलाई तक चलेगी। ओडिशा के पुरी में स्थित यह मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा में उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भी शामिल होते हैं।
भगवान जगन्नाथ के मंदिर के झंडे का रहस्य
भगवान जगन्नाथ के मंदिर का झंडा हर शाम को बदला जाता है। मान्यता है कि यदि यह झंडा नहीं बदला गया, तो मंदिर अगले 18 साल के लिए बंद हो जाएगा।
आंख पर पट्टी बांधकर पुजारी बदलता है मूर्तियां
हर 12 साल बाद भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम की मूर्तियों को बदला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मंदिर में अंधेरा कर दिया जाता है और केवल एक पुजारी की आंखों पर पट्टी बांधकर मूर्तियों को बदला जाता है। किसी अन्य व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है।
ब्रह्म पदार्थ का रहस्य
भगवान जगन्नाथ मंदिर में पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में ब्रह्म पदार्थ नामक एक रहस्यमयी वस्तु को स्थानांतरित किया जाता है। कहा जाता है कि जो भी इस पदार्थ को देखता है, उसकी मृत्यु हो जाती है। पुजारियों का कहना है कि यह पदार्थ उछलता हुआ महसूस होता है और छूने में खरगोश जैसा लगता है।
मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी
भगवान जगन्नाथ के मंदिर के गुंबद पर कभी किसी पक्षी को बैठे हुए नहीं देखा गया है। इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज के भी उड़ने की मनाही है।
मंदिर में धड़कता है श्री कृष्ण का दिल
माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का दिल आज भी सुरक्षित है और वह भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में धड़कता है। भगवान श्रीकृष्ण के देह त्याग के बाद उनका हृदय जिंदा रहा और उसे भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में स्थानांतरित कर दिया गया। जगन्नाथ पुरी मंदिर अपने अद्भुत रहस्यों और धार्मिक महत्त्व के कारण सदियों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता रहा है। इस रथ यात्रा के दौरान भक्तों का उत्साह और आस्था अपने चरम पर होती है, जो इस मंदिर की महानता को और भी बढ़ा देती है।