Edited By Yaspal,Updated: 11 Feb, 2024 11:05 PM
लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है। बिहार में जेडीयू, उत्तर प्रदेश में सुभासपा और आरएलडी के बाद अब भाजपा की नजर पंजाब पर थी। बीजेपी और अकाली दल के बीच पंजाब में गठबंधन को लेकर पिछले कुछ समय से बातचीत चल रही थी
नेशनल डेस्कः लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है। बिहार में जेडीयू, उत्तर प्रदेश में सुभासपा और आरएलडी के बाद अब भाजपा की नजर पंजाब पर थी। बीजेपी और अकाली दल के बीच पंजाब में गठबंधन को लेकर पिछले कुछ समय से बातचीत चल रही थी। अब सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है जिसके मुताबिक, पंजाब में अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की बातचीत विफल हो गई है।
सूत्रों ने बताया कि आम आदमी पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है। सूत्रों के मुताबिक, अकाली दल द्वारा किसान आंदोलन, सिख बंदियों की रिहाई के मामलों को लेकर भी बीजेपी पर दवाब बनाया जा रहा था। साथ ही पंजाब की बीजेपी लीडरशिप भी गठबंधन के हक में नहीं थी। बता दें कि केंद्र सरकार जब किसानों के लिए नए कृषि कानून लेकर आई थी, उसके विरोध में अकाली दल ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था। उसके बाद अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर ही पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था।
कुछ समय पहले अकाली दल के सूत्रों ने बताया था कि बीजेपी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से छह सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है। जब अकाली दल एनडीए में शामिल था, तो वो 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव रही थी।
2019 में साथ लड़े चुनाव
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और अकाली दल ने मिलकर चुनाव लड़ा था। 13 लोकसभा सीटों में से दोनों पार्टियों को महज 4 सीटों पर जीत मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को करीब 37 प्रतिशत वोट मिला था।
बता दें कि इस समय पंजाब में अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है. कहा जा रहा है कि वो इस गठबंधन को तोड़ना नहीं चाहते क्योंकि बीएसपी का पंजाब में अच्छा-खासा प्रभाव है. वहीं सुखदेव सिंह ढींढसा के गुट की भी अकाली दल में शामिल होने की बात चल रही है।
वहीं अकाली नेताओं का आरोप है कि बीजेपी ने पंजाब में अकाली दल को कमजोर करने की भी कोशिश की है। बीजेपी ने अकाली दल के नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया ताकि अकाली का वोटबैंक उसको ट्रांसफर हो सके। जालंधर लोकसभा उपचुनाव में भी बीजेपी ने चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे इंदर सिंह अटवाल को अपना उम्मीदवार बनाया था।