मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज कांग्रेसी विधायक ने शपथ ग्रहण समारोह का किया बायकाट

Edited By Parveen Kumar,Updated: 27 May, 2023 10:56 PM

congress mla boycotted the swearing in ceremony

कर्नाटक में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शनिवार को यहां राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहे।

नेशनल डेस्क: कर्नाटक में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शनिवार को यहां राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहे। पार्टी के जिन दिग्गज एवं वरिष्ठ नेताओं को मंत्री पद से वंचित किया गया है, उनमें टीबी जयचंद्र, एम कृष्णप्पा और बीके हरिप्रसाद शामिल हैं। अनुभवी पार्टी नेता आरवी देशपांडे हालांकि, नाराज नहीं हुए हैं और आने वाले दिनों में बेहतर संभावनाओं की उम्मीद कर रहे हैं। मीडिया के एक वर्ग से बात करते हुए जयचंद्र ने मौजूदा कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि वोक्कालिगा की उप-जाति कुंचिटिगा समुदाय के ध्रुवीकरण के कारण ही कांग्रेस भारी बहुमत से जीत सकी है। अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए जयचंद्र ने कहा कि यह कुंचिटिगा समुदाय का अपमान है। उन्होंने कहा कि समुदाय को उम्मीद थी कि उन्हें (श्री जयचंद्र को) मंत्री पद मिल सकता था, क्योंकि वह कांग्रेस पार्टी से समुदाय के एकमात्र प्रतिनिधि हैं। पार्टी को कड़ा संदेश देते हुए श्री जयचंद्र ने कहा कि वह चुप नहीं बैठेंगे और पार्टी आलाकमान से मिलकर चर्चा करेंगे।

उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि अब तक न तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और न ही पार्टी आलाकमान ने उनसे संपर्क किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता रहे हैं। वहीं एक ऐसे नेता को मंत्री पद देने के लिए जयचंद्र ने गुस्सा जताया किया जो न तो विधायक है और न ही एमएलसी। जयचंद्र एनएस बोसेराजू का जिक्र कर रहे थे, जो दोनों सदनों के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उन्हें मंत्री पद दिया गया। इस बीच, उनके समर्थकों ने उन्हें कैबिनेट में शामिल करने की मांग को लेकर सिद्धारमैया के आवास पर धरना दिया।

दूसरी ओर, हरिप्रसाद ने कहा कि मीडिया को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से उनकी चूक के लिए पूछना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या कोई सिद्धारमैया के मंत्रालय में उनके शामिल होने की राह में रोड़ा अटका रहा है, उन्होंने कहा,‘‘ऐसी चीजें होती रहती हैं। समय आने पर मैं सब कुछ बता दूंगा। अभी के लिए, मैं चुप हूं।'' इन वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी का एक कारण उम्र भी है। जयचंद्र 63 साल के हैं, जबकि कृष्णप्पा 70 साल के हैं, इसके अलावा हरिप्रसाद 68 साल के हैं। देशपांडे 76 साल के हैं।

पार्टी आलाकमान ने यह फैसला इसलिए किया है क्योंकि ये नेता भविष्य में चुनाव नहीं लड़ सकते और पार्टी ने नए चेहरों को मौका देने का फैसला किया है। इनमें से कुछ नेताओं ने मंत्री पद की पैरवी करने के लिए दिल्ली में डेरा डाला था, और उनमें से अधिकांश शुक्रवार रात शहर लौट आए। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि सभी को उपयुक्त अवसर मिलेंगे, जैसे कि उन्हें धरम सिंह और सिद्धारमैया सरकारों के दौरान मिले थे।

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