Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 29 Jun, 2024 11:46 AM
अधिकतर जर्मन कंपनियों का मानना है कि भारत में विकास की बहुत संभावनाएं हैं और वे इस विकास की हिस्सेदार बनने को उत्सुक हैं, लेकिन 2023 में हालात कुछ अगल दिखाई दे रहे हैं। वहीं, अब अधिक जर्मन कंपनियों ने...
इंटरनेशनल न्यूज: अधिकतर जर्मन कंपनियों का मानना है कि भारत में विकास की बहुत संभावनाएं हैं और वे इस विकास की हिस्सेदार बनने को उत्सुक हैं, लेकिन 2023 में हालात कुछ अगल दिखाई दे रहे हैं। वहीं, अब अधिक जर्मन कंपनियों ने 2023 की तुलना में इस वर्ष देश में व्यापार करने में एक समस्या के रूप में भारत में नौकरशाही बाधाओं का हवाला दिया है। ये एक ऐसा मुद्दा जो इस वर्ष के अंत में चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के नई दिल्ली दौरे पर बातचीत में शामिल होने की संभावना है।
इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 64% जर्मन व्यवसायों ने नौकरशाही बाधाओं - जैसे संरक्षणवादी उपायों और खरीद नियमों को देश में परिचालन में सबसे बड़ी कमी के रूप में सूचीबद्ध किया, जो पिछले साल 53% से अधिक है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि भ्रष्टाचार दूसरी सबसे बड़ी समस्या थी, जिसका हवाला 39% व्यवसायों ने दिया, जो पिछले साल 47% से कम है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, लगभग 2,000 जर्मन कंपनियाँ भारत में काम करती हैं, जिनमें लगभग 750,000 स्थानीय लोग कार्यरत हैं।
भारत में क्या है खासियत?
एक सर्वे में शामिल कंपनियों ने बताया कि भारत में कुछ खास गुण हैं, जो उन्हें आकर्षित करते हैं। इन गुणों में सस्ता श्रम, राजनीतिक स्थिरता और कुशल कामगारों की उपलब्धता जैसी बातों को गिनाया गया है। कई कंपनियों ने प्रशासनिक बाधाओं, भ्रष्टाचार और कर व्यवस्था जैसी चुनौतियों पर चिंता भी जाहिर की। सबसे ज्यादा 64 फीसदी कंपनियां प्रशासनिक बाधाओं को लेकर चिंतित हैं जबकि 39 फीसदी भ्रष्टाचार और 27 फीसदी कर व्यवस्था से नाखुश हैं।