Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 10 Jul, 2024 10:15 AM
भारत ने कहा है कि उसने सतत विकास लक्ष्यों (SDG ) को अपनी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में पूरी तरह से एकीकृत कर लिया है और उसे अपने एसडीजी स्था...
संयुक्त राष्ट्र: भारत ने कहा है कि उसने सतत विकास लक्ष्यों (SDG ) को अपनी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में पूरी तरह से एकीकृत कर लिया है और उसे अपने एसडीजी स्थानीयकरण मॉडल पर गर्व है, जो संस्थागत स्वामित्व, सहयोगात्मक प्रतिस्पर्धा, क्षमता निर्माण और समग्र समाज दृष्टिकोण के स्तंभों पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उपस्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने यह टिप्पणी सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘‘एसडीजी शिखर सम्मेलन से लेकर टिकाऊ, लचीले और अभिनव समाधानों के प्रभावी वितरण तक'' विषय पर उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच पैनल को संबोधित करते हुए की।
सतत विकास पर उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच (एचएलपीएफ) आठ जुलाई को शुरू हुआ और 17 जुलाई तक चलेगा, जिसका विषय है, ‘‘वर्ष 2030 एजेंडा को सुदृढ़ बनाना और विभिन्न संकटों के समय में गरीबी उन्मूलन: टिकाऊ, लचीले और अभिनव समाधानों का प्रभावी क्रियान्वयन।'' पटेल ने कहा, "भारत को अपने एसडीजी स्थानीकरण मॉडल पर गर्व है, जो चार स्तंभों पर आधारित है: संस्थागत स्वामित्व, सहयोगात्मक प्रतिस्पर्धा, क्षमता निर्माण और संपूर्ण समाज दृष्टिकोण। भारत के मजबूत आर्थिक विकास सूचकांक प्रणालीगत सुधारों, समावेशी नीतियों और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के लाभ उठाने से उत्पन्न हुए हैं।" उन्होंने बताया कि भारत ने एसडीजी को अपनी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में पूरी तरह से कैसे एकीकृत किया है।
उन्होंने बताया कि भारत का प्रमुख राष्ट्रीय विचार मंच नीति आयोग एसडीजी को लागू करने में केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों दोनों का मार्गदर्शन करता है। ऐसे में जब भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है, जो उसकी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष के साथ मेल खाता है, भारत ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग सहित साझेदारी के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। दुनिया के सामने इस "अफसोसजनक सच्चाई" का सामना करने के साथ कि वर्तमान में एसडीजी लक्ष्यों में से केवल 12 प्रतिशत ही पटरी पर हैं, पटेल ने कहा कि एजेंडा 2030 और उसके लक्ष्यों के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता की तत्काल आवश्यकता है। पटेल ने कहा कि भारत उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम को सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और 2030 एजेंडा को साकार करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में देखता है।