#MovieReview : अधूरे सपनों को पूरा करना सिखाती है कंगना की 'पंगा'

Edited By Chandan,Updated: 24 Jan, 2020 01:28 PM

panga movie review

कंगना रनौत की फिल्म 'पंगा' आज बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। उम्मीद और हौसले से भरी इस फिल्म को डायरेक्ट किया है अश्विनी अय्यर तिवारी ने। फिल्म में कंगना के साथ-साथ जस्सी गिल, यज्ञ भसीन, ऋचा चड्ढा, और नीना गुप्ता नजर आ रहे हैं। फिल्म देखने से पहले...

फिल्म: पंगा (Panga)
स्टारकास्ट: कंगना रनौत (Kangana Ranaut), जस्सी गिल (Jassi Gill), यज्ञ भसीन (Yaq Bhasin), ऋचा चड्ढा (Richa Chadda), नीना गुप्ता (Neena Gupta)
डायरेक्टरः अश्विनी अय्यर तिवारी (Ashwiny Iyer Tiwari)
रेटिंग: 4 स्टार/5*

नई दिल्ली। जिंदगी में कई बार जिम्मेदारियां हमारे सपनों पर हावी हो जाती हैं। ये हावीपन इतना बढ़ जाता है कि हमारे सपने कब और कहां खो जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता। उन सपनों को दोबारा जिंदा करने की हिम्मत जुटा पाना नामुमकिन सा हो जाता है, बस रह जाती है तो उन सपनों को पूरा ना कर पाने की कसक। लेकिन आज सिनेमाघरों में एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई है जो एक बहुत ही खूबसूरत, संवेदनशील और प्रेरक कहानी है। फिल्म का नाम है 'पंगा' जो एक बार फिर वापसी करने की प्रेरणा देती है। इसमें कंगना रनौत, जस्सी गिल, यज्ञ भसीन, ऋचा चड्ढा, और नीना गुप्ता नजर आ रहे हैं। इसे डायरेक्ट किया है फिल्म 'निल बट्टे सन्नाटा' और 'बरेली की बर्फी' जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीत चुकीं अश्विनी अय्यर तिवारी ने। अगर आप भी फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ें ये मूवी रिव्यू (Movie Review)

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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A post shared by Kangana Ranaut (@team_kangana_ranaut) on Jan 22, 2020 at 10:46pm PST

उम्मीद से भरी 'कहानी' (Story of Panga)
फिल्म की कहानी है जया निगम (कंगना रनौत) की जो राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी प्लेयर रह चुकी है लेकिन पत्नी और एक सात साल के बच्चे की मां बनने के बाद अब रेलवे में कर्मचारी है। जया पूरी तरह से अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभा रही है और इन्हीं जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते हमेशा से उसका पैशन रही कबड्डी पीछे छूट गई। लेकिन कहते हैं न कि सपने खोते होते हैं लेकिन कभी मरते नहीं, ऐसा ही होता है जया के साथ। कबड्डी छूटने के बाद भी वो एक सपना बनकर जया के दिल और दिमाग में बसी हुई है और उसे पूरा ना कर पाने का दर्द आज भी उसे कचोटता है। आखिरकार जिंदगी जया को एक दूसरा मौका देती है अपने सपने पूरे करने का और 32 साल की उम्र में जया निकल पड़ती है जिंदगी से एक पंगा लेने जिसमें उसका साथ देते हैं उसके पति (जस्सी गिल) और बेटे (यज्ञ भसीन)। इस सफर में जया को किस-किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वो अपने सपनों को दोबारा से जी पाती है या नहीं ये तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।

 

दमदार 'एक्टिंग' (Acting)
कंगना की एक्टिंग देखने लायक है। चाहे हम बात करें मध्यम वर्गीय नौकरीशुदा गृहणी के किरदार की या फिर एक कबड्डी खिलाड़ी के किरदार की, दोनों में ही कंगना बिल्कुल फिट और दमदार लगी हैं। वो पर्दे पर इतनी नेचुरल दिखी हैं कि हर महिला जया में खुद की छवि को देख पाएगी। इसके साथ ही बात करें जया के पति का किरदार निभा रहे जस्सी गिल की तो उन्होंने एक आर्दश पति का किरदार पूरी ईमानदारी से निभाया है। वहीं जया के बेटे के किरदार में यज्ञ भसीन दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। वो न सिर्फ चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट लाते हैं बल्कि उनके दमदार डायलॉग्स प्रेरित भी करते हैं। ऋचा चड्ढा की बात करें तो मीनू के किरदार में वो दमदार नजर आईं हैं। जया की मां के किरदार में नीना गुप्ता को कास्ट करना इस फिल्म के लिए परफेक्ट च्वॉइस कहा जा सकता है। सबसे खास बात ये है कि सभी किरदारों के बीच कैमिस्ट्री गजब की है।

 

रिएलिस्टिक 'डायरेक्शन' (Direction)
लोगों की जिंदगी से जुड़ी कहानियों को बड़ी ही खूबसूरती से पर्दे पर उतारने में माहिर अश्विनी अय्यर तिवारी ने एक बार फिर से सबके दिलों को जीत लिया है। अश्विनी अय्यर तिवारी 'बरेली की बर्फी' (2017) के बाद 'पंगा' लेकर आईं हैं। कंगना रनौत के साथ यह उनकी पहली फिल्म है। उनका सशक्त लेखन और शानदार निर्देशन फिल्म को बेजोड़ बनाता है। आमतौर पर 'पंगा' शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में लड़ाई-झगड़े का दृश्य आता है लेकिन अश्विनी ने इसे अलग रूप में दर्शकों के सामने लाने की कोशिश की है, जिसमें वह काफी हद तक कामयाब भी हुईं हैं। इस फिल्म को संजीदगी से पर्दे पर पेश किया गया है। फिल्म की खास बात यह है कि छोटी- छोटी बारीकियों को बखूबी दिखाया गया है। इमोशन्स के साथ-साथ फिल्म में स्पोर्ट्स के जोश को अश्विनी बरकरार रखने में सफल रहीं हैं।

सच्चाई बयां करते 'डायलॉग्स' (Dialogues)
फिल्म के डायलॉग्स नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) ने लिखे हैं। आपको इस फिल्म में ऐसे डायलॉग्स सुनने को मिलेंगे जिससे न सिर्फ आप इत्तेफाक रखेंगे बल्कि वो लंबे समय तक आपके जहन में जिंदा रहेंगे। ये डायलॉग्स आपको इमोशनल तो करेंगे ही साथ ही जोश से भी भर देंगे। कह सकते हैं ये डायलॉग्स आपको हंसते-हंसाते कई सच्चाईयों का एहसास करा देंगे।

खूबसूरत 'म्यूजिक' (Music)
फिल्म के गाने जावेद अख्तर ने लिखे हैं, वहीं शंकर-एहसान-लॉय ने इन्हें अपने संगीत से सजाया है। फिल्म के गाने सुन आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे और आपको झूमने पर मजबूर कर देंगे। ये गाने न सिर्फ फिल्म को सपोर्ट करते हैं बल्कि इसमें एक इमोशनल टच भी देते हैं।

मजबूत 'तकनीकी पक्ष' (Technical)
फिल्म में अर्चित पटेल और जय पटेल ने डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी की कमान संभाली है, जो कि काबिल-ए-तारीफ है। 

बहुत कुछ है खास

  • शादीशुदा महिला के लिए पति और बच्चों को छोड़कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए दूसरे शहर जाना आसान नहीं होता। यह सारी चीजें फिल्म की मजबूत कड़ी हैं।
  • फिल्म उम्मीदों से भरी है जो जिंदगी में खुद को दूसरा मौका देने का मैसेज देती है।
  • सबसे खास बात ये है कि हर कोई खुद को इस फिल्म से जुड़ा हुआ महसूस कर पाएगा।

क्यों न देखें

  • हम तो यही कहेंगे की इस फिल्म को ना देखने की कोई वजह नहीं है।

Source: नवोदय टाइम्स

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