खेलों में  धैर्य और अनुशासन ही जीत की पूंजी है-राज्यपाल

Edited By Archna Sethi,Updated: 15 Mar, 2023 10:23 AM

patience and discipline are the capital of victory in sports

खेलों में  धैर्य और अनुशासन ही जीत की पूंजी है-राज्यपाल


चण्डीगढ़, 14 मार्च - (अर्चना सेठी)  26वीं अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिता का आज ताऊ देवी लाल स्टेडियम पंचकूला में समापन हुआ। राष्ट्रीय स्तर की इस खेल प्रतियोगिता में ओवरऑल ट्राॅफी जीत कर छत्तीसगढ़ राज्य प्रथम रहा जबकि दूसरा स्थान कर्नाटक राज्य को प्राप्त हुआ है।

मार्चपास्ट, रस्साकस्सी और भव्य रंगारंग कार्यक्रम के साथ इस प्रतियोगिता का आज समापन समारोह आयोजित किया गया जिसमें हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता, वन और वन्य जीव मंत्री श्री कंवरपाल,  हरियाणा वन विकास निगम के चेयरमैन श्री धर्मपाल गोंदर, हरियाणा लोक सेवा आयोग के चेयरमैन श्री आलोक वर्मा, शिवालिक विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश देवीनगर, पंचकूला के नगर निगम के महापौर कुलभूषण गोयल भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने स्टेडियम में मौजूद खिलाड़ियों, अधिकारियों और दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वन कर्मियों एवं वन अधिकारियों में व्याप्त खेल के प्रति उनके समर्पण का परिणाम है कि प्रतियोगियों ने लगभग 36 खेलों की 273 प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया जिसमें कि एकाकी एवं टीम खेल शामिल हैं। वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के प्रयोजन से प्रथम बार अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन सन् 1993 में हैदराबाद में किया गया। उन्होंने कहा कि अपने दैनिक कार्यों के लिए वन में कार्यरत कर्मचारी एवं अधिकारियों को दुर्गम वन क्षेत्रों में कार्य करना रहता है जिसमें कि वन क्षेत्रों की दैनिक गश्त भी शामिल है इसलिए उनका शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं गतिशील होना आवश्यक है। अपने कार्यों के उचित निष्पादन के लिए वन प्रहरियों के रिफलैक्स त्वरित होने चाहिए ताकि किसी भी खतरे के अंदेशे से बचा जा सके। खेल ऐसा माध्यम है जिससे कि शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है तथा व्यक्ति के रिफलैक्स भी तेज रहते हैं । उन्होंने कहा कि  वन कमिर्यों एवं वन अधिकारियों की जीवन शैली में खेल अभिन्न अंग है।


राज्यपाल ने कहा कि वन कर्मी अपने कर्तव्य के लिए लगातार 24 घण्टे तथा वर्ष के सारे दिन बड़ी तत्परता से तैयार रहते है। उनकी यह प्रकृति एवं वन्य जीवो के प्रति निष्ठा भावना का परिणाम है कि बहुत से वन्य जीव जो कि विलुप्ता की कगार पर थें जिसमें कि भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ भी शामिल है कि संख्या गत वर्षो में बढ़ रही है। यद्यपि हरियाणा मुख्यतः कृषि प्रधान राज्य है परन्तु यहां पर भी वन कर्मियों ने अपने योगदान से शिवालिक के पहाड़ी क्षेत्रों एवं अरावली क्षेत्र में विद्यमान वनों एवं वन्य जीवों का संरक्षण एवं संवर्धन किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य देश के लिए वेटलिफिटिंग, कुश्ती, कबड्डी, हॉकी, बोक्सिंग, जैवलिन आदि खेलों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी देता रहा है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य खेलों की क्रीडा स्थली है। हमारे राज्य के वन कर्मी वन एवं अधिकारी आयोजित होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता में ना केवल बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे परन्तु उच्चगुणवत्ता के खेल एवं खेल भावन का भी प्रदर्शन करेंगे।उन्होंने कहा कि जीवन में धैर्य और अनुशासन से ही व्यक्ति सफल हो पाता है और खेलों में भी धैर्य और अनुशासन ही जीत की पूंजी है। एक अच्छा खिलाड़ी खेल में आई हुई कठिनाईयों से उभरकर जीत का वरण करता है और ऐसे ही जीवन में खेलों जैसी जीवटता रखने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं। खेल के अभ्यास से मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है ।

समापन समारोह के दौरान आज हरियाणा और पंजाब की टीमों के बीच रस्साकस्सी का बहुत ही दिलचस्प मुकाबला हुआ। तालियों और उत्साहवर्धक वातावरण के बीच हरियाणा ने इस मैच को 3-0 से जीत लिया।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि खेल मनुष्य में आपसी समझ को बढ़ावा देते है क्योंकि कोई भी खेल अकेले नहीं खेला जा सकता। टीम के साथ खेलकर हमें सहयोग से काम करने की आदत पड़ती है। मिलकर खेलने में व्यक्तिगत हार-जीत नहीं रहती। हार का दुःख तथा जीत की खुशी साथी खिलाडियों में बंट जाती है। उन्होंने कहा कि खेल में जीत के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी व्यक्तिगत यश के लिए न खेलें। वह अन्य खिलाडियों के साथ सहयोग से खेलें। इस प्रकार खेलों से टीम भावना तथा सहकारिता की भावना से काम करने की शिक्षा स्वयमेव मिलती रहती है।

हरियाणा के वन एवं वन्य जीव मंत्री कंवरपाल ने कहा कि यह अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता लघु भारत की एक मनोरम झांकी है। यहां हार-जीत का महत्व नहीं है बल्कि खेल भावना का महत्व है। उन्होंने कहा कि स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते है। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल मे भाग लेने से खिलाडियों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सदभाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है। खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे आध्यात्मिक साधना में मदद मिलती है ।

हरियाणा वन विकास निगम के चेयरमैन धर्मपाल गोंडर ने 26वीं अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए हरियाणा सरकार को बधाई देते हुए कहा कि आज संसार के सभी देशों ने खेल के महत्व को समझ लिया है, इसलिए खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

Related Story

Trending Topics

India

Australia

Match will be start at 22 Mar,2023 03:00 PM

img title img title

Everyday news at your fingertips

Try the premium service

Subscribe Now!