मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध 10 जून तक बढ़ाया गया, विरोध में लोगों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

Edited By rajesh kumar,Updated: 06 Jun, 2023 09:11 PM

petition filed in supreme court against internet ban in manipur

मणिपुर के दो लोगों ने एक महीने पहले शुरू हुई जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में बार-बार इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

 

नेशनल डेस्क: मणिपुर के दो लोगों ने एक महीने पहले शुरू हुई जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में बार-बार इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिका चोंगथम विक्टर सिंह और मेयेंगबम जेम्स ने दायर की है जिसमें कहा गया है कि संबंधित कदम से याचिकाकर्ताओं और उनके परिवारों पर महत्वपूर्ण आर्थिक, मानवीय, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है।

इसमें कहा गया है कि इंटरनेट पर प्रतिबंध के चलते राज्य के निवासी "भय, चिंता, लाचारी और हताशा" की भावना का अनुभव कर रहे हैं, और वे अपने प्रियजनों या कार्यालय के सहकर्मियों के साथ संवाद करने में असमर्थ हैं। मणिपुर सरकार ने मंगलवार को इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध 10 जून तक बढ़ा दिया। इंटरनेट पर प्रतिबंध तीन मई को लगाया गया था। मणिपुर में जातीय हिंसा में करीब 100 लोगों की जान चली गई और 310 अन्य घायल हो गए। कुल 37,450 लोग वर्तमान में 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद तीन मई को पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। मणिपुर की आबादी में मेइती लोग लगभग 53 प्रतिशत हैं और इनमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है तथा वे पर्वतीय जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवानों को तैनात किया गया है।

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