सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव का माफीनामा किया खारिज, 10 अप्रैल को पेश होने का आदेश; केंद्र को भी लगाई फटकार

Edited By Pardeep,Updated: 02 Apr, 2024 11:08 PM

supreme court rejects baba ramdev s apology orders him to appear on april 10

उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न बीमारियों के इलाज से संबंधित पतंजलि आयुर्वेद के ‘भ्रामक' विज्ञापनों से जुड़े अवमानना के एक ??मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और उनके शिष्य आचार्य बालकृष्ण के माफीनामे को मंगलवार को ‘दिखावा' करार दिया और उसे खारिज कर दिया।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न बीमारियों के इलाज से संबंधित पतंजलि आयुर्वेद के ‘भ्रामक' विज्ञापनों से जुड़े अवमानना के एक ??मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और उनके शिष्य आचार्य बालकृष्ण के माफीनामे को मंगलवार को ‘दिखावा' करार दिया और उसे खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने माफीनामा खारिज करते हुए यह भी कहा,‘‘हमें आश्चर्य है कि भारत सरकार ने (इस मामले में) अपनी आंखें क्यों बंद रखीं।'' 

शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में उन्हें एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्ट हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया और मामले पर विचार के लिए 10 अप्रैल की तारीख मुकरर्र कर दी। शीर्ष अदालत ने उस दिन बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पेश होने का निर्देश दिया। पीठ के समक्ष मंगलवार को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित थे। उन्होंने अपने वकील बलबीर सिंह के माध्यम से अदालत के समक्ष यह कहना चाहा कि वे मामले में हलफनामा दायर करने में अपनी विफलता के लिए माफी मांगना चाहते हैं। 

सिंह ने अदालत के समक्ष कहा,‘‘मैं हाथ जोड़कर कह सकता हूं कि वो सज्जन (रामदेव और बालकृष्ण) अदालत में मौजूद हैं और अदालत उनकी माफी दर्ज कर सकती है।'' इस पर पीठ ने उनसे कहा,‘‘आपको अदालत को दिए गए वचन का पालन करना होगा। आपने हर बाधा तोड़ दी है। अब यह कहना कि आपको खेद है, (अदालत को) स्वीकार्य नहीं है।'' पीठ ने समाज में बाबा रामदेव के रुतबे के मद्देनजर कहा,‘‘उनकी जिम्मेदारी एक आम नागरिक से भी अधिक कठिन है। हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। कानून का उद्देश्य कानून की महिमा को कायम रखना है। चिकित्सा के अन्य क्षेत्र को अपमानित करना अस्वीकार्य है।'' 

पीठ ने पतंजलि प्रबंध निदेशक के हलफनामे के उस बयान की भी निंदा की, जिसमें कहा गया था कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (मैजिक रेमेडीज) अधिनियम पुरातन है। पीठ ने टिप्पणी की,‘‘क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि प्रत्येक पुरातन अधिनियम को लागू नहीं किया जाना चाहिए। जब ??कोई अधिनियम होता है जो संबंधित क्षेत्र को नियंत्रित करता है ... यदि विज्ञान ने प्रगति की है तो आपने सरकार के समक्ष उसके बारे में बताने के लिए क्या किया।'' शीर्ष अदालत ने अपने पिछले आदेश के बाद बाबा रामदेव द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस और विज्ञापनों के प्रकाशन पर भी कड़ी असहमति जताई। 

पीठ ने कहा,‘‘आप अपनी कंपनी द्वारा दिए गए वादे पर कायम हैं। आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था और आपका विज्ञापन दो महीने बाद आया।'' शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन सांघवी की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि विज्ञापन मीडिया विभाग द्वारा जारी किए गए थे, जो (मीडिया विभाग) अदालत के समक्ष इस मामले में चल रही कार्यवाही से अनभिज्ञ था। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह नहीं होना चाहिए था। 

उन्होंने सुझाव दिया कि वह वकील के साथ बैठेंगे और अदालत में दाखिल करने के लिए हलफनामा तैयार करेंगे। इस पर पीठ ने कहा,‘‘हमें आश्चर्य है कि भारत सरकार ने अपनी आंखें क्यों बंद रखीं।'' मेहता ने याचिकाकर्ता आईएमए द्वारा मांगी गई राहतों का भी उल्लेख किया, जिसमें यह भी शामिल है कि एलोपैथी की आलोचना नहीं की जा सकती। इस पर पीठ ने कहा कि वह उन दावों पर तब विचार करेगी, जब वह मुख्य मामले की जांच करेगी। 

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