VIDEO: राष्ट्रपति रईसी को अंतिम विदाई देने पहुंचे खामनेई व विदेशी नेता; ताबूत देख बेकाबू हुआ जनसैलाब, धनकड़ भी ईरान रवाना (Pics)

Edited By Tanuja,Updated: 22 May, 2024 02:03 PM

supreme leader ali khamenei arrives for final farewell to raisi

SUPREME LEADER ARRIVES FOR FINAL FAREWELLS TO PRESIDENT RAISI

इंटरनेशनल डेस्कः   ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियन और अन्य अधिकारियों के जनाजे में शामिल होने और मातम मनाने के लिए मंगलवार को लोगों के जुटने का सिलसिला शुरू हो गया है।  जैसे ही तेहरान विश्वविद्यालय के बाहर भीड़ जमा हुई, अंदर  ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई जो रईसी  के बेहद करीबी माने जाते हैं, ने ईरान के  मृत राष्ट्रपति के लिए अपनी अंतिम प्रार्थना की। ईरान में 23 मई को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई है। रईसी के अंतिम संस्कार से पहले देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला प्रार्थना करेंगे।  तेहरान में जैसे ही ईरानी राष्ट्रपति का अंतिम संस्कार समारोह दौरान जैसे ही उनकी पार्थिव देह वाला ताबूत पहुंचा तो लोगों की भीड़ उसे अपने सिर के ऊपर ले जाने के लिए बेकाबू हो गई। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए विदेशी नेता व गणमान्य व्यक्ति भी पंहुच रहे हैं ।

 

 

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खामेनेई और रायसी एक साथ सत्ता में आने के कारण बहुत करीब थे। माना जाता है कि हेलीकॉप्टर दुर्घटना में असामयिक निधन से पहले राईसी ईरान के अगले सर्वोच्च नेता बनने की कतार में थे।  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार (22 मई) को ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने तेहरान जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पोस्ट में बताया कि भारत की ओर से शोक समारोह में भाग लेने के लिए उपराष्ट्रपति ईरान गए हैं।

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19 मई को रईसी का हेलिकॉप्टर ईरान-अजरबैजान बॉर्डर के पास क्रैश हो गया था। इसमें विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियान समेत कुल 9 लोग सवार थे। तबरिज शहर में अंतिम यात्रा के बाद राष्ट्रपति के शव को तेहरान लाया गया। ईरानी उपराष्ट्रपति मोहसिन मंसूरी ने बताया कि 23 मई को उन्हें ईरान के मशहद शहर में दफनाया जाएगा।

 

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इसी शहर में रईसी का जन्म हुआ था।भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ईरान के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। इससे पहले 21 मई को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी दिल्ली में ईरान के दूतावास का दौरा किया था। ईरान की सरकार ने दिवंगत राष्ट्रपति के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। साथ ही वह इसके जरिये पश्चिम एशिया में शक्ति प्रदर्शन भी करना चाहती है। ईरान में शिया धर्म आधारित शासन में विशाल प्रदर्शन हमेशा से अहम रहे हैं।

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यहां तक कि 1979 की इस्लामिक क्रांति के दौरान भी तत्कालीन सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह रुहुल्लाह खुमैनी के स्वागत में लाखों लोग राजधानी तेहरान की सड़कों पर उतर आए थे। उन्हें सुपुर्द ए खाक किए जाते समय भी लाखों लोग शामिल हुए थे। पड़ोसी बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में 2020 में मारे गए रिवोल्यूशनरी गार्ड के जनरल कासिम सुलेमानी के जनाजे में एक अनुमान के अनुसार 10 लाख लोग शामिल हुए थे।

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दिवंगत राष्ट्रपति रईसी, विदेशमंत्री अमीराब्दुल्लाहियन और अन्य के जनाजे में इतनी ही भीड़ जुटेगी या नहीं, इसे लेकर अभी सवाल हैं क्योंकि इनकी मौत हेलीकॉप्टर हादसे में हुई है और रईसी देश के इतिहास में सबसे कम मतदान वाले चुनाव में जीते थे एवं उन्होंने सभी विरोधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी।अभियोजकों ने पहले ही चेतावनी दी है कि किसी ने रईसी के निधन पर खुशी का इजहार किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हेलीकॉप्टर हादसे के बाद से ही तेहरान की सड़कों पर भारी तादाद में सुरक्षाबल तैनात हैं। 

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