मनीष सिसोदिया को कोर्ट ने क्यों नहीं दी जमानत? यहां- जानें वजह

Edited By Yaspal,Updated: 31 Mar, 2023 10:28 PM

why did the court not give bail to manish sisodia here know the reason

अदालत ने इसके साथ की कहा कि सिसोदिया प्रथम दृष्टया इस मामले में आपराधिक साजिश के सूत्रधार थे और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में "सबसे...

नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए आबकारी नीति मामले में शुक्रवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने इसके साथ की कहा कि सिसोदिया प्रथम दृष्टया इस मामले में आपराधिक साजिश के सूत्रधार थे और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में "सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख भूमिका" निभाई। अदालत ने कहा कि इस समय उनकी रिहाई से जारी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति "गंभीर रूप से बाधित" हो सकती है। सिसोदिया इस मामले में 26 फरवरी से हिरासत में हैं।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश एम के नागपाल ने रिश्वत की अग्रिम राशि के बारे में कहा कि 20-30 करोड़ रुपये "सह-आरोपी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और दिनेश अरोड़ा" के माध्यम से भेजे गए पाए गए। सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता की जमानत याचिका पर 24 मार्च को आदेश सुरक्षित रखने वाले विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने कहा कि वह इस समय उन्हें रिहा करने के पक्ष में नहीं हैं।

आपराधिक साजिश के पहलू पर बात करते हुए और अब तक की गई जांच पर सीबीआई के अभिवेदन का संदर्भ देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सिसोदिया ने "आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका निभाई थी तथा वह उक्त साजिश के उद्देश्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए उक्त नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में प्रमुखता से शामिल थे।

इस प्रकार, अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में अब तक एकत्र किए गए सबूतों के अनुसार, आवेदक को प्रथम दृष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है।" उन्होंने 34 पन्नों के अपने आदेश में कहा, ‘‘... यह अदालत मामले की जांच के इस स्तर पर आवेदक को जमानत पर रिहा करने की इच्छुक नहीं है, क्योंकि उसकी रिहाई से जारी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति भी गंभीर रूप से बाधित होगी। इसलिए, आवेदक की ओर से दायर की गई यह जमानत याचिका खारिज की जाती है।''

सिसोदिया ने पहले यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि न तो उनके भागने का जोखिम है और न ही सीबीआई को आबकारी नीति से संबंधित कथित अनियमितताओं की जांच में उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक मिला है। सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि हालांकि सिसोदिया के भागने का जोखिम नहीं है, लेकिन वह "निश्चित रूप से" गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों को नष्ट करने की स्थिति में हैं। गत नौ मार्च को प्रवर्तन निदेशालाय (ईडी) ने सिसोदिया को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया, जहां वह सीबीआई की जांच से जुड़े एक अलग मामले के सिलसिले में बंद थे।

 

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