Edited By ,Updated: 05 Nov, 2016 10:00 AM
घरों में एयर प्यूरिफायर अब एक जरूरत बनता जा रहा है।
नई दिल्लीः घरों में एयर प्यूरिफायर अब एक जरूरत बनता जा रहा है। खास तौर पर दिल्ली और पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण इतने खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है कि लोग अपने घरों में तो एयर प्यूरिफायर लगा ही रहे हैं, ऑफिस, हॉस्पिटल्स और स्कूलों में भी एयर प्यूरिफायर की मांग बढ़ गई है।
दिल्ली-एनसीआर में हवा की क्वालिटी पहले से ही खराब थी, लेकिन दिवाली पर फोड़े गए पटाखों ने यहां के आसमान पर धुएं की सफेद चादर सी बिछा दी है। इस बढ़ते प्रदूषण से चिंतित लोगों की दिलचस्पी एयर प्यूरिफायर में काफी बढ़ी है। यही वजह है कि दिवाली के बाद सिर्फ दो दिनों में इस प्रोडक्ट की मांग दोगुनी बढ़ गई है।
केंट के अलावा हायर के एयर प्यूरिफायर की बिक्री में 40 फीसदी, ब्लूएयर की बिक्री में 35 फीसदी और फिलिप्स एयर प्यूरिफायर की बिक्री में 30 फीसदी की बढ़ौतरी आई है। शाओमी ने हाल ही में एयर प्यूरिफायर लांच किया था और पिछले महीने के मुकाबले कंपनी की बिक्री दोगुनी हो गई है। हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक एयर प्यूरिफायर प्रदूषण की हर दिक्कत को दूर नहीं कर सकता।
आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में हवा की क्वालिटी दिवाली के तीन दिन बाद भी काफी खतरनाक बनी हुई है। दिवाली की रात 10 बजे पीएम10 का लेवल 1000 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो रात ढाई बजे 16000 के पार चला गया। फिलहाल इसका लेवल दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में 650 से लेकर 1000 के बीच है, जबकि सांस लेने लायक हवा में इसकी तादाद अधिकतम 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए।
जानकारों का कहना है कि अगर प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब चीन की तरह हमें भी अपने मुंह पर मास्क लगाकर बाहर घूमना पड़ेगा। एयर प्यूरिफायर तो सिर्फ आपके घर के वातावरण को ही साफ रख सकता है। हवा की क्वालिटी को बेहतर करने के लिए प्रदूषण के स्तर का कम होना सबसे जरूरी है।