पी.यू. में नाजी शासन: यौन शोषण की शिकार टीचर को ही बनाया गया निशाना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Feb, 2018 08:34 AM

targeted victim of sexually exploited

पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन गंभीर मसलों को किस तरह से हवा में उड़ा रहा है यह जाहिर हो रहा है 7 अक्तूबर 2017 को सिंडीकेट मीटिंग में हुई चर्चा (मिनट्स) और उसकी संस्तुति पर बनी कमेटी के फैसले से।

चंडीगढ़ (साजन): पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन गंभीर मसलों को किस तरह से हवा में उड़ा रहा है यह जाहिर हो रहा है 7 अक्तूबर 2017 को सिंडीकेट मीटिंग में हुई चर्चा (मिनट्स) और उसकी संस्तुति पर बनी कमेटी के फैसले से। सिंडीकेट और कमेटी ने वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस से जारी फर्जी लैटर को गंभीरता से लेने की बजाय उस टीचर को ही कटघरे में खड़ा कर दिया जिसने लैटर को लेकर सवाल उठाए थे।

 

यौन शोषण की पीड़िता (टीचर) की ओर से वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस के ओ.एस.डी. अंशुमन गौड़ पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सैक्रेटरी टू वाइस प्रैसिडैंट और पी.यू. के रजिस्ट्रार के साथ मिलीभगत कर लैटर जारी किया जिसकी कोई नोटशीट या फाइल वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस में नहीं है। फर्जी लैटर जारी होने के गंभीर सवाल को सिंडीकेट और कमेटी ने बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया। उल्टा शिकायतकर्ता टीचर और यौन शोषण पीड़िता को ही टारगेट कर दिया। गौरतलब है कि यौन शोषण के मामले में पी.यू. के वी.सी. प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर पर गंभीर आरोप लगे हैं जिसकी पुलिस के पास भी बाकायदा शिकायत पहुंच रखी है। 

 

वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस की अंडर सैक्रेटरी हरबी शकील ने 21 सितम्बर 2017 को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की वाइंट सैक्रेटरी इशिता रॉय को पीड़िता के 5 सितम्बर 2017 के पत्र की जांच के संदर्भ में लिखा था जिसमें वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस में ओ.एस.डी. रहे अंशुमन गौड़ पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को एक फर्जी लैटर जारी किया जिसे तत्कालीन चांसलर (डा. हामिद अंसारी) ने जारी करने की कभी अनुमति ही नहीं दी थी। इसकी प्रति पी.यू. प्रशासन को भी भेजी गई थी। 

 

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से तो कार्रवाई की बात स्पष्ट नहीं हुई लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी ने अपने तौर पर कमेटी बनाई और पीड़िता को ही टारगेट बना दिया और उनके खिलाफ ही जांच की संस्तुति कर दी। यूनिवर्सिटी के टीचरों पर अनुशासनहीनता की बेड़ी लगाकर कई ऐसी पाबंदियां थोप दी जिनसे टीचर खूब नाराज बताए जा रहे हैं। टीचरों की दलील है कि यह तो सरासर तानाशाही होने लगी है। इसका सब टीचरों को जवाब देना चाहिए। पहले सिंडीकेट और फिर कमेटी ने उन आठ टीचरों को ही अनुशासनहीन करार दे दिया जिन्होंने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाई। 


5 सितम्बर 2017 को यौन शोषण की पीड़िता प्रोफैसर और सीनेट की सदस्य ने उपराष्ट्रपति और पी.यू. के चांसलर वैंकेया नायडू के नाम पत्र लिखा जिसमें पूर्व उपराष्ट्रपति डा. हामिद अंसारी के ओ.एस.डी. रहे अंशुमन गौड़ पर आरोप लगाया कि उन्होंने (सैक्रेटरी वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस)और पंजाब युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार कर्नल (रिटायर्ड) जी.एस. चड्ढा के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति ऑफिस से 20 जनवरी 2016 को एक फर्जी लैटर जारी किया जिस पर उपराष्ट्रपति की मंजूरी ही नहीं थी। 

 

पीड़िता ने लिखा कि 30 जनवरी 2016 को उन्होंने इस संदर्भ में आर.टी.आई. डाल कर जानकारी मांगी जिसकी जानकारी पंजाब यूनिवर्सिटी के पास भेज दी गई। 9 फरवरी 2016 को वाइस प्रैसिडैंट सैक्रेट्रिएट में सी.पी.आई.ओ. मेहताब सिंह ने पीड़िता और पी.यू. प्रशासन को लिखा कि चूंकि मामला पंजाब युनिवर्सिटी प्रशासन से संबंधित है लिहाजा उन्हें यह मामला भेजा जा रहा है। 

 

पंजाब यूनिवर्सिटी के पी.आई.ओ. ने 26 फरवरी 2016 को लिख दिया कि चूंकि मामला वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस में अंडर सैक्रेटरी स्तर का है लिहाजा उनका आर.टी.आई. आवेदन वाइस प्रैसिडैंट सैक्रेट्रिएट के सी.पी.आई.ओ. और अंडर सैक्रेटरी को भेजा जाता है। जानकारी न दिए जाने पर पीड़िता ने 23 फरवरी 2016 को आर.टी.आई. एक्ट 2005 के तहत अपील फाइल कर दी। 

 

11 मार्च 2016 को अपीलेट अथॉरिटी अशोक दीवान ने लिख कर भेजा कि जो जानकारी मांगी गई है उस संबंध में सैक्रेट्रिएट के पास न तो कोई फाइल है और न ही कोई नोट। इसके बाद पीड़िता ने सी.आई.सी. में दूसरी अपील की। 4 सितम्बर 2017 को चीफ इनफर्मेशन कमिश्नर (सी.आई.सी.) राधा कृष्ण माथुर ने वीडियो कांफ्रैंसिंग से हियरिंग की। 

 

वाइस प्रैसिडैंट सैक्रेट्रिएट की अपीलेट अथॉरिटी अशोक दीवान ने हियरिंग अटैंड की और इस दौरान माना कि वाइस प्रैसिडैंट ऑफिस में 20 जनवरी 2016 को अंशुमन गौड़ की ओर से जारी लैटर की कोई नोटशीट और फाइल नहीं है। सी.आई.सी. के पूछने पर अशोक दीवान ने बताया कि हो सकता है ओ.एस.डी. को वाइस प्रैसिडैंट के सैक्रेटरी से मौखिक आदेश मिले हों। 

 

पीड़िता ने लिखा कि अगर मान भी लिया जाए कि मौखिक आदेश दिए गए थे तो संबंधित अधिकारी को अपने उच्च अधिकारी के सामने नोट भेजकर फाइल रखनी चाहिए थी, ताकि मौखिक आदेशों की पुष्टि हो सके। हियरिंग के दौरान अशोक दीवान सी.आई.सी. को भी गुमराह करने की कोशिश करते रहे। 


उच्चाधिकारी के मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं
सुप्रीम कोर्ट के टी.एस.आर. सुब्रहमणियन बनाम भारत सरकार के मामले में स्पष्ट आदेश हैं कि किसी भी मसले पर अधिकारी (सिविल सर्वेंट) अपने उच्चाधिकारी के मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं करेंगे। 

 

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद ही प्राइम मिनिस्ट्रर ऑफिस की ओर से भी मौखिक आदेशों पर कोई काम न करने की एडवाइजरी जारी की गई। यहां तक कहा गया कि अधिकारी लिखित आर्डर लेने के बाद ही कार्रवाई करें लेकिन अभी तक उपराष्ट्रपति ऑफिस की ओर से भी इस मामले में कोई जांच कमेटी नहीं गठित की गई। पी.यू. और इसकी गवॄनग बॉडी तो इसका फायदा उठाकर वी.सी. को बचाने में लगी हुई हैं।

 

ये बनाई थी सिंडीकेट ने कमेटी
हरबी शकील के पत्र के बाद सिंडीकेड्डट ने कमेटी गठित की थी जिसका चेयरमैन एमिरेट्स प्रोफैसर प्रो. डी.वी.एस. जैन को बनाया गया था। पूर्व सांसद त्रिलोचन सिंह, एमिरेटस प्रोफैसर पैम राजपूत, रिटायर्ड आई.एफ.एस. एम्बैस्डर आई.एस. चड्ढा, वरिष्ठ वकील वी.के. सिब्बल और डिप्टी रजिस्ट्रार एस्टाब्लीशमैंट को इस कमेटी का सदस्य बनाया गया। 

 

कमेटी की 18 दिसम्बर 2017 को बैठक हुई जिसमें हरबी शकील के पत्र के संदर्भ में चर्चा हुई। कमेटी के सदस्यों ने बैठक के दौरान सर्विस एंड कंडक्ट रूल फॉर यूनिवर्सिटी इम्प्लायज का हवाला देते हुए यह तय कर दिया कि पी.यू. का कोई भी मुलाजिम अपनी सर्विस  कंडीशन और अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर सिंडीकेट और सीनेट के पास एप्रोच नहीं कर सकता जिससे युनिवर्सिटी की बदनामी होती हो। 

 

अगर वाइस चांसलर की बिना अनुमति के उनसे ऊपर अथॉरिटी यानी चांसलर या सिंडीकेट और सीनेट तक किसी ने पहुंच बनाई तो इसे अनुशासन भंग की कैटेगरी माना जाएगा और मुलाजिम पर कार्रवाई होगी।


पी.यू. चाह रहा था पी.यू. कैश कमेटी जांच करे
पी.यू. प्रशासन चाह रहा है कि मामले में पी.यू.कैश ही जांच करे जबकि पी.यू. कैश की पूर्व चेयरमैन प्रो. निष्ठा जायसवाल इस पर कई सवाल उठा चुकी हैं। उनका कहना था कि चूंकि मामले में आरोप वाइस चांसलर के ऊपर हैं लिहाजा पी.यू. कैश इसकी जांच नहीं कर सकती। चांसलर जो वी.सी. के इम्प्लायर हैं कोई कमेटी गठित करें जो वाइस चांसलर पर लगे आरोपों की जांच करे। 

प्रशासन पी.यू.कैश से जांच करवाने की जिद पकड़े हुए था, क्योंकि इसके सभी सदस्य वी.सी. के अंडर आते हैं। अब भी जो कमेटी गठित की गई है वह मनमाने तरीके से गठित की गई है जिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कमेटी फिर वी.सी. की शह पर सिंडीकेट ने गठित की है जिस पर सीनेट की मोहर लगवाई गई है।

 

वी.सी. के जहन में पुलिस कार्रवाई का डर 
हरबी शकील के पत्र के बाद सिंडीकेट की स्पैशल मीटिंग में वी.सी. प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर व अन्य सदस्यों की ओर से इस संदर्भ में कई सवाल उठाए गए। वाइस चांसलर ने तो यहां तक कहा कि उनके खिलाफ यौन शोषण मामले में नॉन बेलेबल सैक्शन के तहत गिरफ्तारी के वारंट जारी हो सकते थे लेकिन पुलिस ने अभी तक ऐसा नहीं किया। पुलिस ने पूछा कि यूनिवर्सिटी ने 15 अप्रैल 2015 की शिकायत पर क्या कार्रवाई की है?

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!