अदालत के ये फैसले भी महिलाओं के लिए बने नजीर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 06:52 PM

these decisions of the supreme court brought changes in society

इन मुद्दों पर देश में बहस तो सालों से चल रही है लेकिन रास्ता अभी तक नहीं निकल सका। इस बार भी सर्वोच्च अदालत ने ट्रिपल तलाक और महिला संपत्ती के नजीर फैसलों के बाद नाबालिक विवाह पर भी अहम फैसला सुनाया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाबालिक पत्नी...

नई दिल्ली: राजनीतिक दल समाज में बदलाव की वकालत तो खूब करते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि अदालत न होती तो आज भी समाज का एक बड़ा तबका कुरीतियों में जकड़ा रहता। इन मुद्दों पर देश में बहस तो सालों से चल रही है लेकिन रास्ता अभी तक नहीं निकल सका। इस बार भी सर्वोच्च अदालत ने ट्रिपल तलाक और महिला संपत्ती के नजीर फैसलों के बाद नाबालिक विवाह पर भी अहम फैसला सुनाया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाबालिक पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने पर रेप का केस दर्ज होगा। ऐसे ही कई मुद्दे रहे हैं जो समाज में बदलाव लेकर आए और इनके लिए रास्ता कोर्ट से ही निकला। 
PunjabKesariट्रिपल तलाक से मुस्लिम महिलाओं को राहत : 
मुस्लिम महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बड़ी राहत लेकर आया। 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच जिसमें मुख्य न्यायाधीश समेत 5 जज शामिल थे, बहुमत के आधार पर एक झटके में ही ट्रिपल तलाकपर प्रतिबंध लगा दिया इसके साथ ही केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने का आदेश भी दे दिया। मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी है जबकि मुस्लिम धर्मगुरु इसके पक्ष में हमेशा से खड़े रहे थे।  
PunjabKesariपिता की संपत्ति में महिलाओं का अधिकार : 
9 सितंबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महिलाओं को उनके पिता की संपत्ति में अधिकार का फैसला सुनाया था। इससे पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 पिता की संपत्ति में बेटी के अधिकार की बात नहीं थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसमें संशोधन किया और पिता की संपत्ति में बेटे की तरह ही बेटी को भी संपत्ति का अधिकार दे दिया। 
PunjabKesariहाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश : 
मुंबई की हाजी अली दरगाह के गर्भ गृह में महिलाओं के अंदर जाने का अधिकार भी कोर्ट की ही देन है। दरगाह प्रबंधन का कहना था कि शरिया कानून महिलाओं को अंदर जाने की इजाजत नहीं देता है और महिलाओं के अंदर जाने पर रोक लगा रखी थी लेकिन बांबे हाईकोर्ट ने 26 अगस्त 2012 इस पाबंदी को असंवैधानिक करार दिया। इस फैसले के विरोध में दरगाह ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी हाईकोर्ट के पक्ष में ही फैसला सुनाया। 
PunjabKesariमहिलाओं के बाल विवाह पर लगेगी रोक :
नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप का अपराध है। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि सहमति से सेक्स करने की उम्र बनाने को कम नहीं किया जा सकता है। 15 से 18 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आएगा। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि पत्नी पुलिस के पास शिकायत कर सकती है। कोर्ट ने इस प्रावधान को पोक्सो के साथ जोड़ा है।

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