अस्पताल परिसर में एम.आर. का जमावड़ा

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2015 01:56 AM

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सिविल अस्पताल में डाक्टरों की अनदेखी के कारण ओ.पी.डी. में उपचार करवाने आने वाले रोगियों को भारी परेशानी...

गुरदासपुर(विनोद): सिविल अस्पताल में डाक्टरों की अनदेखी के कारण ओ.पी.डी. में उपचार करवाने आने वाले रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के  उच्चाधिकारी सब कुछ जानते हुए भी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं जिसका खमियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। 

जानकारी के अनुसार किसी भी रोगी को उपचार करवाने से पूर्व ओ.पी.डी. में पर्ची कटवाने के लिए लाइन में लगना पड़ता है और पर्ची लेने में ही रोगी या उसके पारिवारिक सदस्यों का 1 से 2 घंटे का समय लग जाता है। जब रोगी पर्ची कटवाकर डाक्टर को दिखाने के लिए जाता है तो वहां पर अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है, क्योंकि सम्बन्धित डाक्टर के कमरे के बाहर भारी संख्या में रोगियों की लाइनें लगी होती हैं जो समय के साथ बढ़ती चली जाती है, लेकिन डाक्टर कमरे में हैं या नहीं, इस सम्बन्धी रोगी को कोई उचित जानकारी नहीं मिलती। 
 
डाक्टर के कमरे में तैनात सम्बन्धित स्टाफ को मात्र यही ज्ञान होता है कि डाक्टर साहिब कुछ देर के लिए बाहर गए हैं, लेकिन कहां यह उन्हें मालूम नहीं होता और वे अपनी ड्यूटी निभाते हुए रोगियों की पॢचयों को सीरियल के अनुसार इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। समय बीतने के साथ ही जब डाक्टर अपने कमरे में दाखिल होता है तो रश बेहिसाब हो जाता है जिसे सम्भालना कमरे में तैनात अन्य स्टाफ के लिए मश्किल हो जाता है। 
 
दूसरी तरफ जब डाक्टर साहिब कमरे में बैठते हैं तो उनके साथ ही मैडीकल रिप्रैजैंटेटिव (एम.आर.) भी दाखिल हो जाते हैं जिसके कारण डाक्टर रोगियों को देखने की उपेक्षा एम.आर. की तरफ अधिक ध्यान केन्द्रित करते हैं। अस्पताल परिसर में अक्सर ही एम.आर. का जमावड़ा लगा रहता है जिन्हें रोकने वाला शायद कोई नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम में अस्पताल में उपचार करवाने के लिए आने वाले रोगी का पूरा दिन ही पर्ची कटवाने व डाक्टर को दिखाने में निकल जाता है और यदि डाक्टर उसे लैबारेटरी से टैस्ट, एक्स-रे आदि करवाने का आदेश दे तो समझो रोगी का पूरा दिन मात्र डाक्टर को चैकअप करवाने में ही निकल गया। 
 
दूसरी तरफ देखने में आया है कि कई डाक्टरों के पास ही कई एम.आर. पूरा दिन बैठे रहते हैं और अपनी मर्जी अनुसार रोगियों को दवाई लिखने के लिए डाक्टरों को मजबूर करते हैं। इस सम्बन्धी सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने के आश्वासन पर बताया कि अस्पताल में ड्यूटी पर तैनाती दौरान या किसी भी समय एम.आर. के साथ वार्तालाप करना गैर-कानूनी है, क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा सख्ती से आदेश जारी कर अस्पताल परिसर में एम.आर. के दाखिल होने पर पाबंदी लगाई गई है। 
कहां है गड़बड़ी
 
सूत्रों के अनुसार अस्पताल में तैनात डाक्टरों को एम.आर. द्वारा दवाई लिखने के लिए प्रेरित किया जाता है जिसकी एवज में एम.आर. द्वारा डाक्टरों को कुछ उपहार दिए जाते हैं। इसी उपहार के चलते डाक्टर अक्सर एम.आर. के चंगुल में फंस कर नियमों की अनदेखी करने से भी गुरेज नहीं करते। 
 
एम.आर. से सम्पर्क बनाने वाले डाक्टरों पर होगी सख्त कार्रवाई : एस.एम.ओ.एस.एम.ओ. डा. सुधीर से सम्पर्क किया तो उन्होंने स्वीकार किया कि अस्पताल परिसर में किसी भी तरह के एम.आर. का दाखिल होना वॢजत है और यदि कोई डाक्टर एम.आर. के साथ सम्पर्क करता है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि समय-समय पर अस्पताल की चैकिंग कर एम.आर. को रोका जाता है, लेकिन यदि फिर भी कोई डाक्टर एम.आर. से सम्पर्क करता पाया गया तो उसके विरुद्ध सख्त विभागीय कार्रवाईकी जाएगी। 
 

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