Edited By ,Updated: 12 Feb, 2016 05:15 PM
वाहन उद्योग ने आगामी बजट में कर कम करने तथा पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन योजना लाने की मांग की है।
नई दिल्लीः वाहन उद्योग ने आगामी बजट में कर कम करने तथा पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन योजना लाने की मांग की है। वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के अध्यक्ष विष्णु माथुर ने आज संवाददाताओं को बताया कि संगठन ने अपना पक्ष सरकार के सामने रखा है जिसमें उसने विभिन्न करों तथा शुल्कों की संख्या घटाने, उत्पाद शुल्क घटाने तथा पुराने वाहनों को बदलने पर प्रोत्साहन योजना तैयार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल 4 मीटर से छोटी कारों पर 12.5 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगता है। 4 मीटर या उससे बड़े यात्री वाहनों पर 24 से 30 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगता है। इसके अलावा मूल्य वद्र्धित कर (वैट) भी कंपनियों को देना पड़ता है।
माथुर ने कहा कि वाहन उद्योग का मानना है कि वर्तमान कर प्रणाली में 4 मीटर या बड़ी कारों पर भी 20 प्रतिशत से ज्यादा कर नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने पर वैट समाप्त हो जाएगा और ऐसी स्थिति में जीएसटी की समान्य दर छोटी कारों पर लागू की जानी चाहिए, जबकि बड़े वाहनों के लिए कर की एक अलग दर रखी जा सकती है।
प्रदूषण कम करने के लिए निश्चित अवधि के बाद पुरानी कारों को बदलने पर जारी बहस के संबंध में उन्होंने कहा कि व्यावसायिक वाहनों को बदलना अनिवार्य किए जाने की बात समझ में आती है क्योंकि उनका अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है जिससे इंजन पर असर पड़ता है और 10-12 साल में उनकी स्थिति खराब हो जाती है लेकिन निजी वाहनों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें वाहन मालिक को अपना वाहन बदलने पर कुछ प्रोत्साहन राशि या छूट मिले। उन्होंने कहा कि निजी वाहनों का सामाजिक पक्ष भी है।
आम तौर पर निजी वाहनों की देख-रेख ज्यादा होती है और इस्तेमाल कम। फिर, हर आदमी अलग-अलग इस्तेमाल करता है। इसलिए सबको समय के हिसाब से बदलने की अनिवार्यता उचित नहीं होगी। राष्ट्रीय राजधानी में डीजल इंजन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के बारे में माथुर ने कहा, ‘‘इसका औचित्य हमारी समझ से परे है। हमें निश्चित रूपरेखा चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आज यह नियम है, कल कुछ और। हमें इससे मतलब नहीं है कि नियम विधायिका बना रही है या न्यायपालिका; वाहन उद्योग इसमें स्थिरता चाहता है।’’