आतंकवादियों की शर्मनाक हार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बनें या इमरान खान पाकिस्तान और भारत दोनों के लिए अच्छे

Edited By ,Updated: 11 Feb, 2024 03:23 AM

should nawaz sharif become pm or imran khan be good for both pakistan and india

8 फरवरी को पाकिस्तान में हिंसा, तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाओं के बीच मतदान हुआ। मुख्य मुकाबला पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज’ (पी.एम.एल.-एन), बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पी.पी.पी.) तथा  इमरान खान की...

8 फरवरी को पाकिस्तान में हिंसा, तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाओं के बीच मतदान हुआ। मुख्य मुकाबला पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज’ (पी.एम.एल.-एन), बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पी.पी.पी.) तथा  इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पी.टी.आई.) के बीच था। पाक नैशनल असैम्बली की कुल सीटें 336 हैं। इनमें 265 सीटों पर मतदान हुआ जबकि एक सीट पर मतदान टाल दिया गया और 70 सीटें रिजर्व हैं। 

कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के कारण इमरान के जेल में होने, चुनाव आयोग द्वारा पी.टी.आई. पर प्रतिबंध एवं  चुनाव चिन्ह ‘क्रिकेट का बल्ला’ छीन लेने के कारण उनके उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। चुनावों में नवाज शरीफ तथा उनकी मदद कर रही सेना पर धांधली के आरोपों के बीच घोषित परिणामों में इमरान खान समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार 100 सीटों पर जीत कर सबसे आगे रहे, जबकि नवाज शरीफ की पार्टी को 71, बिलावल भुट्टो की पार्टी को 55 व एम.क्यू.एम. को 17 सीटें मिली हैं। इन चुनावों में आतंकी हाफिज सईद के उम्मीदवारों को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा जिनमें उसका बेटा तल्हा सईद भी शामिल है। हालांकि किसी भी पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए 134 का आंकड़ा नहीं है, परंतु सत्ता के दोनों दावेदार नवाज शरीफ तथा इमरान खान अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। 

नवाज शरीफ ने कहा है कि ‘‘चुनाव के बाद पी.एम.एल.(एन.) आज सबसे बड़ी पार्टी है। जिसे भी जनादेश मिला है, चाहे वह निर्दलीय हो या पाॢटयां, हम उन्हें हमारे साथ बैठने और इस घायल देश को अपने पैरों पर फिर से खड़ा होने में सहायता देने के लिए गठबंधन बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। हमारा एजैंडा केवल खुशहाल पाकिस्तान है। सभी को सद्भाव से बैठकर पाकिस्तान को दरपेश कठिनाइयों से बाहर निकालना चाहिए।’’ नवाज शरीफ की अपील पर उनसे बात करने के लिए पी.पी.पी. सुप्रीमो आसिफ जरदारी और उनके बेटे बिलावल भुट्टो ने लाहौर पहुंच कर गठबंधन सरकार बनाने बारे उनसे बातचीत की है। 

दूसरी ओर इमरान ने कहा है कि नवाज शरीफ ने कम सीटें जीती हैं। उनकी पार्टी ने नवाज शरीफ या बिलावल भुट्टो के साथ गठबंधन करने से इन्कार करते हुए कहा है कि पी.टी.आई. केंद्र में सरकार बनाने में सक्षम होगी। इमरान ने दूसरे दलों के साथ गठबंधन वार्ता करने की बात कहने के साथ-साथ चुनावों में हेराफेरी के विरुद्ध 11 फरवरी को देश में बंद और प्रदर्शन की घोषणा की है। इस तरह के घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चाहे नवाज शरीफ बनें या इमरान खान, दोनों के ही भारत के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। जब नवाज शरीफ ने देखा कि भारत के विरुद्ध सारे हथकंडे आजमा कर भी पाकिस्तान कुछ नहीं पा सका तो उन्होंने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया व तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी को लाहौर बुलाकर दोनों ने आपसी मैत्री व शांति के लिए 21 फरवरी, 1999 को ‘लाहौर घोषणा पत्र’ पर हस्ताक्षर किए थे। 

तब आशा बंधी थी कि अब इस क्षेत्र में शांति का नया अध्याय शुरू होगा, पर तत्कालीन सेनाध्यक्ष मुशर्रफ ने इसके जल्दी ही बाद नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर उन्हें जेल में डाल दिया और सत्ता हथिया कर देश निकाला दे दिया। नवाज शरीफ के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 25 दिसम्बर, 2015 को नवाज शरीफ की दोहती की शादी में पाकिस्तान जा चुके हैं। ऐसे में उन्हें भारत के 2 प्रधानमंत्रियों को पाकिस्तान बुलाने का श्रेय प्राप्त है। इमरान खान ने 18 अगस्त, 2018 को पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करते समय ‘नया पाकिस्तान’ बनाने, देश की शासन प्रणाली सुधारने और भारत से संबंध सुधारने आदि की बातें कही थीं। 

इमरान खान के निमंत्रण पर नवजोत सिंह सिद्धू उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे और उन्होंने ‘हिंदुस्तान जीवे, पाकिस्तान जीवे’ का नारा लगाया था। इमरान ने 9 नवम्बर, 2019 को करतारपुर कारिडोर भी खोला ताकि सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में श्री करतारपुर साहिब स्थित ‘गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब’ के दर्शन वीजा लिए बिना आसानी से कर सकें। इस पावन स्थान पर श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष व्यतीत किए और अपने हाथों खेती की तथा यहीं ज्योति-जोत समा गए। 

बिलावल भुट्टो के नाना व पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो 28 जून, 1972 को शिमला समझौते के लिए भारत आए थे। तब उनके साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो (पूर्व प्रधानमंत्री व बिलावल भुट्टो की मां) भी आई थीं। इस लिहाज से देखें तो नवाज शरीफ व इमरान खान में से किसी का भी प्रधानमंत्री बनना पाकिस्तान के साथ ही भारत के लिए भी अच्छा सिद्ध होगा तथा आतंकवादियों की बुरी तरह हार हो चुकी है।—विजय कुमार 

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