जमानत पर आए आरोपी फिर कर रहे अपराध ‘छुटती नहीं है काफिर, यह मुंह से लगी हुई’

Edited By ,Updated: 23 May, 2023 04:19 AM

the accused who came on bail are again committing crimes

जेलों को अपराधियों का ‘सुधार घर’ कहा जाता है ताकि वहां से सजा काटने के बाद वे एक बेहतर इंसान बन कर बाहर निकलें परंतु जेल प्रबंधन यह उद्देश्य पूरा करने में विफल रहा है। यह इसी से स्पष्ट है कि जमानत पर छूट कर आने के बाद भी कुछ आरोपी अपराध करने से बाज...

जेलों को अपराधियों का ‘सुधार घर’ कहा जाता है ताकि वहां से सजा काटने के बाद वे एक बेहतर इंसान बन कर बाहर निकलें परंतु जेल प्रबंधन यह उद्देश्य पूरा करने में विफल रहा है। यह इसी से स्पष्ट है कि जमानत पर छूट कर आने के बाद भी कुछ आरोपी अपराध करने से बाज नहीं आते। इसके चंद ताजा उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :- 

* 27 जनवरी को हत्या के आरोप में 3 वर्ष से जेल में बंद बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में दुर्गेश लोधी नामक व्यक्ति ने जमानत पर जेल से बाहर आते ही एक व्यक्ति पर हमला करके उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया।
* 23 मार्च को ठाणे (महाराष्ट्र) में आटो रिक्शा चुराने के बाद बेचने की कोशिश करने के आरोप में पुलिस ने एक बदमाश को गिरफ्तार किया जो 9 मार्च को ही जमानत पर जेल से बाहर आया था।

* 24 अप्रैल को पटना में एक हत्याकांड के सिलसिले में जमानत पर जेल से बाहर आते ही एक महिला को लूटने के आरोप में गोलू कुमार नामक युवक को गिरफ्तार करके दोबारा जेल भेज दिया गया। 

* 11 मई को गोरखपुर के ‘कैंपियरगंज’ के ‘रासूखोर’ गांव में जमीन की जबरन रजिस्ट्री करने से मना करने पर भूस्वामी पर गोली चलाने के आरोप में योगेश मिश्रा को गिरफ्तार किया गया। इससे पहले आरोपी आम्र्स एक्ट के अंतर्गत जेल में बंद था और जमानत पर छूट कर घर आने के 10 दिन बाद ही उसने फिर अपराध कर डाला। 

* 19 मई को मथुरा के ‘फरह’ कस्बे में एक व्यक्ति को अपनी बेटी से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वह 15 अप्रैल को ही जेल से जमानत पर छूट कर आया था। 
* और अब 22 मई को लुधियाना में हथियारों के बल पर राहगीरों को लूटने वाले गिरोह के जमानत पर चल रहे 4 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जबकि उनका एक साथी भागने में सफल हो गया। इस गिरोह पर 4 महीनों में 60 से भी अधिक वारदातें करने का आरोप है। 

उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि हमारी जेलें अपराधियों को सुधारने में किस कदर विफल हो रही हैं। अत: इस बुराई को रोकने के लिए जेलों को वास्तविक अर्थों में सुधार घर बनाकर वहां अपराधियों को अपराध की दुनिया छोडऩे के लिए प्रभावशाली ढंग से प्रेरित करने और उनके पुनर्वास के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिएं।-विजय कुमार 

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