Edited By ,Updated: 03 Aug, 2022 04:42 AM
बदलते दौर के साथ भारत भी तेजी से तरक्की कर रहा है। गांवों, शहरों और कस्बों में सड़कों, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। बुनियादी स्तर पर गांव भी अब शहर बनने
बदलते दौर के साथ भारत भी तेजी से तरक्की कर रहा है। गांवों, शहरों और कस्बों में सड़कों, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। बुनियादी स्तर पर गांव भी अब शहर बनने की तरफ अग्रसर हैं। लेकिन विकास की दौड़ में समूचा देश एक बराबर गति से आगे नहीं बढ़ रहा, जो चिंताजनक है। आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां सुविधाओं का अभाव है। हालांकि सरकार धीरे-धीरे मूलभूत सुविधाओं को अमलीजामा पहनाने में जुटी है। ऐसे में जब देश का चौमुखी विकास हो रहा है तो भारत संचार क्रांति में पीछे कैसे रह सकता है।
आज नैट कनैक्टिविटी बहुत तेजी से बढ़ी है, और डिजिटलीकरण हो रहा है। ऐसे में अब 5-जी नैटवर्क और तेज डाटा कनैक्टिविटी देश की मांग है। पहले 2 जी.बी. डाटा एक महीने के लिए होता था, आज इतना डाटा एक दिन में ही खत्म हो रहा है। जाहिर है नैट स्पीड की डिमांड बढ़ी है, लेकिन स्थिति आज भी पहले जैसी ही है। डिजिटल इंडिया के इस दौर में स्कूल की पढ़ाई, एग्जाम से लेकर चिकित्सा सुविधा, कैश ट्रांजैक्शन, ई-बिजनैस सब कुछ ऑनलाइन हो गया है। घंटों का काम मिनटों में पूरा हो रहा है। डाटा स्पीड बढ़ी तो तरक्की की दिशा को रफ्तार मिली।
नवीन तकनीक के दौर में अब 5-जी पर काम चल रहा है। 5-जी मतलब पांचवीं पीढ़ी का नैटवर्क, जो बहुत जल्द देखने को मिलेगा। विकास क्रम के दौर को देखें तो 1980 में जब पहली बार 1-जी नैटवर्क आया था, तब सिर्फ वॉयस कॉल ही संभव हो पाई थी। इस दौरान नैट की स्पीड अधिकतम 4 के.बी.पी.एस. हुआ करती थी। इसके बाद जब 2-जी आया तो वॉयस कॉल के साथ एस.एम.एस. और एम.एम.एस. जैसी डाटा सेवाएं शुरू हुईं और डाटा स्पीड पहले से बढ़ कर अधिकतम 50 के.बी.पी.एस. हो गई। 3-जी ने तीव्र डाटा-संचार तकनीक को जन्म दिया। यहां लोग अपने सैलफोन का उपयोग वीडियो कॉङ्क्षलग और मोबाइल इंटरनैट के लिए भी करने लगे थे और नैट स्पीड 384 के.बी.पी.एस. हो गई।
वर्तमान में हम 4-जी के दौर में चल रहे हैं और आज की स्थिति में ऑनलाइन शॉपिंग, रिजर्वेशन, ई-क्लास और तमाम डिजिटल सुविधाएं किसी से छिपी नहीं। ऐसे में 5-जी संचार क्रांति की आप कल्पना कर सकते हैं। 5-जी तकनीक जल्द ही व्यापार और रोबोटिक्स के क्षेत्र में भारत की दशा और दिशा में परिवर्तन लाएगी। पहले जिस काम में समय, पैसा, श्रम खर्च होते थे, आज वही काम एक स्थान पर बैठे-बैठे हो जाता है। ऐसे में यह बात साफ है कि 5-जी के आने से देश के आधारभूत संरचना में स्पीड कई गुणा बढ़ेगी।
इसकी स्पीड इतनी तेज होगी कि घटना होते ही उसकी सूचना पहुंच सकेगी। रियल टाइम में संवाद हो सकेगा। इस तकनीक से गीगाबाइट्स प्रति सैकेंड की तेजी से डाटा ट्रांसफर होगा। पलक झपकते ही एक्सैस होगा और काम को काफी आसान कर देगा। आने वाले समय में इससे घरेलू और दफ्तर की सारी मशीनें एक-दूसरे से कनैक्ट होंगी और इन्हें अपडेट करने में लगने वाला समय कम हो जाएगा।
5-जी तकनीक समय की मांग है। लेकिन 5-जी को स्थापित करने में चुनौतियां भी हजारों हैं। संचार विकास क्रम में 1-जी से 4-जी तक की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करें तो यह साफ दिखता है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़े हैं, वैसे-वैसे पर्यावरण समेत सजीव प्राणियों के लिए यह घातक सिद्ध हुआ है। साइबर समस्या सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी है। मानसिक और सामाजिक रूप से भी इंसान कमजोर हुआ है। इन समस्याओं के हल निकाले बिना फिर नई गति से तरक्की की दौड़ में प्रतिस्पर्धा चल रही है। 5-जी से रेडिएशन का और अधिक खतरा बढ़ेगा। बीमारियों के कई नए स्वरूप उपजेंगे, सजीव प्राणियों पर इसका सीधा असर दिखेगा।
5-जी से तरक्की की दौड़ भले आसान हो जाएगी, लेकिन पीछे देखने पर बहुत कुछ छूटता जा रहा है। डिजिटल तकनीक से हम जितने मजबूत हो रहे हैं, शारीरिक रूप से उतने ही कमजोर हो चले हैं। ऐसी स्थिति में हम विकास के क्रम में भले कई नए कीर्तिमान स्थापित कर लें, लेकिन जब मानव जीवन ही नहीं रहेगा तो तरक्की किस काम की? मनुष्य अपनी सुविधाओं की खोज में धीरे-धीरे खुद को समाप्त करता जा रहा है। जहां मानव जीवन पहले सामान्यतया 100 साल का होता था, अब वह औसतन 70 वर्ष तक रह गया है। इसका कारण सिर्फ रेडिएशन ही नहीं, अपितु कई और भी कारण हैं। किन्तु जितनी तेजी से हम आगे बढ़ रहे हैं, नित नए-नए आविष्कार हो रहे हैं, परेशानियां भी, उतनी ज्यादा खड़ी हो रही हैं। ऐसे में इनसे निजात का तरीका भी हमें ढूंढना होगा। वरना वह दिन दूर नहीं जब हम विकास से विनाश की तरफ बढ़ रहे होंगे!-कृष्ण कान्त शुक्ल