भाजपा का 2 से 303 सीटों तक का सफर

Edited By ,Updated: 03 Apr, 2024 05:27 AM

bjp s journey from 2 to 303 seats

6 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी के देशभर के प्रमुख नेताओं की बैठक में नए दल भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। चुनाव चिन्ह कमल का फूल घोषित किया गया और दल का संविधान बनाने का कार्य शुरू हुआ। भाजपा बन गई। इसका पहला अधिवेशन मुंबई के माहिम क्षेत्र में...

6 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी के देशभर के प्रमुख नेताओं की बैठक में नए दल भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। चुनाव चिन्ह कमल का फूल घोषित किया गया और दल का संविधान बनाने का कार्य शुरू हुआ। भाजपा बन गई। इसका पहला अधिवेशन मुंबई के माहिम क्षेत्र में आयोजित किया गया। सभी वरिष्ठ नेतृत्व ने एक स्वर में जनसंघ के तीन बार अध्यक्ष रहे अटल बिहारी वाजपेयी को लाखों कार्यकत्र्ताओं की उपस्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया। अनेक प्रस्ताव पारित हुए। 

उसी शाम अपने अध्यक्षीय भाषण में अटल जी ने कहा ‘अंधेरा छंटेगा सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा।’ इसी अधिवेशन में प्रसिद्ध न्यायाधीश एम.सी. छागला भी उपस्थित थे। मंच के पीछे बैनर पर लिखा था गद्दी छोड़ो कि जनता आती है। इस अवसर पर छागला जी ने  कहा  था कि मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं कि भाजपा आ रही है और भविष्य में देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी होंगे। 1984 में चुनाव हुए। चुनाव के बीच में ही इंदिरा जी की हत्या हो गई। भाजपा को देश में सिर्फ 2 ही सीटें मिलीं। एक गुजरात के मेहसाणा से अशोक पटेल और दूसरे आंध्र प्रदेश से जंगा रेड्डी चुनाव जीते। यहां तक कि अटल जी ग्वालियर से 84 के चुनाव में माधवराव सिंधिया से हार गए। 

देश में निराशा छा गई। अटल जी उठे, कहा कि हम चुनाव हारे हैं लड़ाई नहीं, हम दुगुनी ताकत से पूरे देश में कमल खिलाएंगे। कार्यकत्र्ता तो देश भर में थे। राष्ट्रीय एवं प्रांतीय नेतृत्व ने पूरे भारत का अखंड प्रवास कर छोटे-बड़े कार्यकत्र्ताओं और भारत की जनता को जगाने का कार्य जारी रखा। धीरे-धीरे हर लोकसभा चुनाव में भाजपा की संख्या बढ़ती गई। 1989 में 85 सीटें और सन 1991 में भाजपा को 120 सीटें मिलीं। एक स्थिति यह आई कि सन 1996 के चुनाव में भाजपा को 182 सीटों पर जीत मिली। सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने अटल जी को प्रधानमंत्री की शपथ के लिए बुलाया। 

अटल जी ने शपथ ली लेकिन वह सरकार मात्र 13 दिन तक चली। फिर चुनाव हुए, पुन: भाजपा को सहयोगियों के साथ यानी उस समय के एन.डी.ए. के साथ अच्छी सीटें मिलीं। अटल जी पुन: 13 महीने के लिए प्रधानमंत्री बने। सहयोगियों ने धोखा दिया और अटल जी की सरकार एक वोट से गिर गई। अटल जी ने अपना इस्तीफा देने से पहले संसद में अपने भाषण में कहा ‘सरकारें आएंगी, जाएंगी लेकिन हम खरीद-फरोख्त से बनी सरकार को चिमटी से भी नहीं छुएंगे।’ हालांकि 1990 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, हिमाचल और राजस्थान में भाजपा की बहुमत से सरकारें बन चुकी थीं। इन राज्यों के चुनावों में कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई थी। 

सन 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में एन.डी.ए. की सरकार सभी सहयोगी दलों के सहयोग से बनी और अटलजी तीसरी बार 5 साल तक प्रधानमंत्री बने रहे। फिर 2004 में लोकसभा चुनाव में भाजपा पराजित हुई और यू.पी.ए. की सरकार बनी। उसके बाद यू.पी.ए. सरकार के प्रधानमंत्री राजनेता कम नौकरशाह रहे डा. मनमोहन सिंह बने। यह सरकार अपने 10 सालों में घोटालों में डूब गई। यू.पी.ए. से देश के करोड़ों लोग निराश हो चुके थे। लेकिन इतिहास करवट लेता है। 

गुजरात में 12 वर्ष शानदार सरकार चलाने वाले नरेंद्र मोदी को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लोकसभा चुनाव के प्रचार का संयोजक और कुछ दिनों बाद उन्हें भाजपा की ओर से देश का भावी प्रधानमंत्री बनाने की दलीय घोषणा की। नरेंद्र भाई का नाम आते ही देश में एक नए राजनीतिक युग का संचार हुआ। नई आशाएं जगीं, उम्मीदों की नई किरणें दिखने लगीं। गुजरात के विकास की अमिट छाप देश ने देखी थी। नरेंद्र मोदी ने भारत का अखंड प्रवास कर पूरे देश का विश्वास जीता और 30 वर्ष बाद किसी एक पार्टी (भाजपा) की बहुमत की सरकार बनी। कुल सीटें भाजपा की 282 एवं एन.डी.ए. की 336 आईं। उसके बाद प्रधानमन्त्री एक दिन भी नहीं रुके। उनके कदम बढ़ते गए। 

इसी बीच राजनाथ सिंह देश के गृह मंत्री बने और भाजपा के नए अध्यक्ष भाजपा के महामंत्री और यू.पी. के प्रभारी रहे अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। संगठन का कार्य संभालते ही अमित भाई ने अपने अखंड प्रवास और अनेकानेक कार्यों और कार्यक्रमों से पूरे भारतवर्ष में भाजपा को खड़ा कर विश्व में भाजपा को सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनाकर इतिहास रचा। हर जिले में भाजपा कार्यालय सहित 12 ऐसे कार्य सौंपे, जिन्हें भाजपा के हर जिले में होना ही था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां वैज्ञानिकों से चन्द्रमा पर तिरंगा फहरवाया, वहीं भाजपा को यानी एन.डी.ए. को शीघ्र ही राजनीति में एवरेस्ट की चोटी पर लाकर खड़ा कर दिया। पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक आज भाजपा और एन.डी.ए. का झंडा फहरा रहा है। 

भारत को परिवारवाद, वंशवाद की राजनीति से मुक्त, भ्रष्टाचार से मुक्ति और गरीब, महिला, किसान, युवा के लिए अपनी सरकार समर्पित कर दी। आज जहां विश्वभर में मोदी जी का लोहा माना जा रहा है, वहीं पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान को दिखा दिया कि अगर आंख दिखाओगे तो हम अब आंख नहीं दिखाएंगे, बल्कि आंख निकालेंगे। विकास के इतने आयाम तय किए  कि सन 2019 में अकेली भाजपा को 303 सीटें मिलीं और एन.डी.ए. को कुल 352 सीटें। 26 मई, 2014 से लेकर अब तक एक दिन भी आराम न करने और छुट्टी नहीं मनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो अपनी 100 वर्षीय माता जी के निधन के दिन भी अंत्येष्टि के 3 घंटे बाद भारत माता के राष्ट्रीय कार्य में जुट गए। वे तब से लेकर अभी तक न थमे, न थके और न रुके। इतना ही नहीं, उन्होंने 10 वर्षों में दीपावली उन सैनिक के बीच जाकर मनाई, जो सरहद पर भारत माता की रक्षा के लिए घर-द्वार छोड़कर काम करते हैं और सैनिकों को विश्वास दिलाया कि वे उनके साहस को सदैव सैल्यूट करते हैं। 

सन 2024 का यह पहला लोकसभा  चुनाव है, जहां देश की करोड़ों जनता ही नहीं, दबे शब्दों में सभी विपक्षी कह रहे हैं कि तीसरी बार भाजपा सरकार बनेगी और मोदी जी फिर से तीसरी बार प्रधानमंत्री। अपनी 44वीं वर्षगांठ पर भाजपा पुन: तीसरी बार आएगी, कमल खिलेगा। जन संघ के जमाने में घोषणा पत्र में जो बातें आज तक कहीं जा रही थीं, मोदी जी ने उसे साकार करने की दिशा में एक पल भी नहीं गंवाया। आज विश्व उनका लोहा मान रहा है। उन्होंने 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद आगामी 5 वर्ष और 2047 तक भारत को विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर ले जाने का आत्मविश्वास दिखाया है।-प्रभात झा(पूर्व सांसद एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष) 

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