एप्पल के चीन छोड़कर भारत आने का गहरा मलाल है ड्रैगन को

Edited By ,Updated: 19 Sep, 2023 05:17 AM

dragon deeply regrets apple leaving china and coming to india

चीन से बाहर निकलने वाली विदेशी कंपनियों में सैमसंग, फॉक्सकॉन और एप्पल जैसी दिग्गज कंपनियां भी शामिल हैं।

चीन से बाहर निकलने वाली विदेशी कंपनियों में सैमसंग, फॉक्सकॉन और एप्पल जैसी दिग्गज कंपनियां भी शामिल हैं। कोरोना महामारी और चीन की सख्त लॉकडाऊन नीति के कारण जब से चीन की अर्थव्यवस्था डावांडोल होने लगी है तभी से सारी विदेशी कंपनियां चीन से बाहर निकलने लगी हैं, ऐसा नहीं है कि चीन की देशी कंपनियां चीन से बाहर नहीं निकलीं, जिन कंपनियों को भी मौका मिला वे चीन से बाहर भाग निकलीं, लेकिन चीन को अमरीकी मोबाइल फोन कंपनी एप्पल के चीन छोड़कर भारत आने का गहरा मलाल है, इसके पीछे एक वजह यह भी है कि चीन में आदमी अमीर हो या गरीब जिसके पास पैसा आता है वह एप्पल मोबाइल फोन ही खरीदता है। 

चीन में सबसे ज्यादा बिकने वाला फोन श्याओमी, रीयलमी या वन प्लस नहीं बल्कि एप्पल फोन है। चीन में एप्पल फोन की फैक्टरी लगने के कारण चीन के अंदर मिलने वाले एप्पल मोबाइल फोन अपेक्षाकृत सस्ते होते थे। यहां बने फोन पूरी दुनिया में सप्लाई किए जाते थे। इससे एप्पल कंपनी को भी फायदा मिला लेकिन पिछले 3 वर्षों में चीन ने जिन गलत नीतियों को अपनाया उससे ढेर सारी देशी-विदेशी कंपनियों को बड़ा नुक्सान उठाना पड़ा इसलिए अब ये कंपनियां चीन को छोड़कर वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और भारत आ रही हैं। 

अपनी इस खीझ को मिटाने के लिए सी.पी.सी. ने ऐसा काम किया है जिससे न सिर्फ चीन के अंदर बल्कि विदेशों में भी चीन की बुराई हो रही है। चीन ने कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर एप्पल फोन पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसका असर मात्र 3 दिनों के अंदर ही एप्पल कंपनी को दिखने लगा है, महज इन 3 दिनों में ही एप्पल कंपनी को 20 हजार करोड़ डालर का नुक्सान हो गया है। दरअसल चीन सरकार ने अपने शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं के लिए एक फरमान जारी किया। अहम बैठकों में नेता एप्पल कंपनी के मोबाइल फोन नहीं ला सकेंगे और बैठकों के दौरान फोन को देखना और उस पर संदेश भेजने जैसा काम नहीं कर सकेंगे। 

इन अधिकारियों पर भी आईफोन रखने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है लेकिन लगता है कि चीन सरकार का मन इतने से नहीं भरा इसलिए सी.पी.सी. ने इसके कुछ ही घंटों बाद एक और फरमान जारी किया जिसमें यह कहा गया कि सिर्फ सरकारी अधिकारी ही नहीं बल्कि अब सरकारी कर्मचारी भी एप्पल के फोन नहीं रख सकेंगे, यानी उनके आईफोन रखने पर भी पाबंदी लगा दी गई। चीन सरकार ऐसा करके अमरीका के खिलाफ अपनी खीझ निकाल रही है क्योंकि इतने वर्षों से एप्पल फोन चीन में बन रहा था जिसकी वजह से चीन सरकार को राजस्व में बड़ा लाभ मिल रहा था और अब यह लाभ चीन के धुर विरोधी देश भारत को मिलने लगेगा। 

दरअसल 2 वर्ष पहले से ही एप्पल कंपनी ने सैमसंग फोन की राह पर चलते हुए अपना बोरिया-बिस्तर चीन से लपेटना शुरू कर दिया था। पिछले वर्ष तक एप्पल कंपनी ने भारत में आईफोन-13 तक बनाना शुरू कर दिया था।  उससे भी पहले एप्पल कंपनी भारत में आईफोन-12 से पहले के माडल बनाना शुरू कर चुकी थी और एप्पल फोन के कलपुर्जे भी भारत में बनाने लगी थी। लेकिन इस वर्ष से भारत में आईफोन-14 भी बनने लगा और चीन से पूरी तरह एप्पल ने अपना काम समेट लिया है।

दरअसल, चीन में सिर्फ कोरोना महामारी के बाद लगे सख्त लॉकडाऊन ही कारण नहीं थे बल्कि वहां पर अब उत्पादन लागत में बहुत अधिक बढ़ौतरी हो गई है और भारत में आज भी चीन की तुलना में उत्पादन लागत बहुत कम है और गुणवत्ता उसी स्तर की मिल रही है। इसलिए न सिर्फ एप्पल बल्कि बाकी कंपनियां भी चीन से बाहर निकल कर ऐसी जगहों पर जा रही हैं जहां पर उत्पादन लागत बहुत कम है।

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