भारत के उद्यमियों को सशक्त बनाना: मुद्रा ऋण की परिवर्तनकारी भूमिका

Edited By Updated: 20 Apr, 2025 05:49 AM

empowering india s entrepreneurs

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एम.एस. एम.ईज.) के विस्तार के साथ आर्थिक प्रगति हुई है। यह क्षेत्र न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि रोजगार सृजन और गांव में नवाचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस क्षमता को पहचानते हुए भारत सरकार ने...

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एम.एस. एम.ईज.) के विस्तार के साथ आर्थिक प्रगति हुई है। यह क्षेत्र न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि रोजगार सृजन और गांव में नवाचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस क्षमता को पहचानते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पी.एम.एम.वाई.) शुरू की है, जिसे मुद्रा ऋण के रूप में जाना जाता है।

आज, मुद्रा लोन दुनिया के लिए एक वायरल वित्तीय रेखा बन गई है और इससे जीवनयापन को महत्व और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। एक दशक पूरा होने पर, इसका प्रभाव भारत भर में अर्ध-शहरी, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों की अर्थव्यवस्थाओं के परिवर्तन में स्पष्ट है। अपनी शुरूआत से ही पी.एम.एम.वाई. योजना ने 51 करोड़ खातों में 32 ट्रिलियन के ऋण की सुविधा प्रदान की है, जिससे हाशिए पर पड़े समुदायों को काफी लाभ हुआ है। उल्लेखनीय रूप से इनमें से लगभग 50 प्रतिशत ऋण एस.सी./एस.टी./ओ.बी.सी. उधारकत्र्ताओं द्वारा लिए गए हैं, जबकि 68 प्रतिशत ने महिला उद्यमियों को सशक्त बनाया है, जिससे वित्तीय समावेशन में इसकी भूमिका मजबूत हुई है।

आजीविका को सशक्त बनाना : मुद्रा ऋण योजना की संकल्पना तीन श्रेणियों ‘शिशु’ (50,000 तक के ऋण), ‘किशोर’ (2,50,000 से 5 लाख तक के ऋण) और ‘तरुण’ ( 5 लाख से 10 लाख तक)को साकार करना है। सफल एम.एस.ईज की उभरती जरूरतों को पहचानते हुए, सरकार ने अक्तूबर 2024 में एक नई श्रेणी-तरुण मुद्रा शुरू की, जिससे मुद्रा  ऋण की सीमा 20 लाख हो गई। यह संरचित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न विकास चरणों में व्यवसायों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त हो। कई छोटे व्यवसाय मालिकों, स्ट्रीट वैंडर्स, कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए औपचारिक ऋण तक पहुंच एक चुनौती थी। मुद्रा ऋणों ने बैंकिंग अंतराल को पाटने और नए विकास के अवसरों को खोलकर, छोटे उद्यमियों और स्वरोजगार करने वालों, जैसे कि करियाना स्टोर मालिकों, कारीगरों और टियर-2 शहरों में तकनीकी स्टार्टअप को सशक्त बनाया है। मुद्रा योजना के शुभारंभ के बाद से, पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) ने 64.5 लाख से अधिक ऋण खातों में 1.35 ट्रिलियन को मंजूरी दी है, जो इसकी पुष्टि करता है।

महिला उद्यमिता का विकास करना : मुद्रा लोन के वितरण में एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति यह देखी गई है कि महिला उद्यमियों की भागीदारी बढ़ रही है। मुद्रा लाभार्थियों में से लगभग 68 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो इस योजना की भूमिका को बढ़ावा देने में प्रमाणित करती है। उदाहरण के लिए, हरियाणा की शीला देवी, जो पहले घर पर ही एक छोटे से सैटअप तक सीमित थीं, ने पी.एन.बी. से शिशु मुद्रा ऋण की मदद से अपनी फर्नीचर की दुकान का विस्तार किया है और अब 5 अन्य महिलाओं को रोजगार दे रही हैं, जिससे उनके समुदाय में रोजगार और आत्मनिर्भरता का प्रभाव पैदा हो रहा है। विनिर्माण, खुदरा, सेवा और कृषि से जुड़ी गतिविधियों जैसे क्षेत्रों में देश भर में इसी तरह की सफलता की कहानियां देखी जा सकती हैं।

निर्बाध डिजिटल ऋण : वित्तीय समावेशन में पी.एन.बी. का बढ़ता योगदान सरलीकृत ऋण प्रक्रियाओं और अभिनव डिजिटल समाधानों द्वारा संचालित है। 2023 की शुरूआत में शुरू की गई पी.एन.बी.-मुद्रा योजना, एक संपूर्ण डिजिटल यात्रा प्रदान करती है, जिससे ग्राहक पूर्ण रूप से 10 लाख तक के मुद्रा ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

कागज रहित प्रक्रिया : बिना किसी शाखा की भागीदारी के  इस प्लेटफॉर्म ने 14,152 लाभार्थियों को 136 करोड़ रुपए की तत्काल लोन मंजूरी सुनिश्चित की है। पी.एन.बी. ने 1 लाख से 25 लाख रुपए के बीच ऋण की आवश्यकता वाले व्यवसायों के लिए ‘डिजी एम.एस.एम.ई. ऋण’ योजना शुरू करके अपने डिजिटल पेशकश को और मजबूत किया। इससे उधारकत्र्ताओं के लिए समय पर और परेशानी मुक्त ऋण पहुंच सुनिश्चित हुई।

पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाना : यह स्पष्ट है कि मुद्रा योजना जमीनी स्तर पर समय पर और किफायती ऋण उपलब्ध कराने, उद्यमियों और छोटे व्यवसायियों को सशक्त बनाने और देश भर में आय सृजन और रोजगार वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम रही है। आगे बढ़ते हुए, एक बहुआयामी दृष्टिकोण जिसमें बेहतर डिजिटल ऋण, अधिक वित्तीय साक्षरता और मजबूत ऋण शामिल है। एम.एस.एम.ई. की सफलता में तेजी लाने के लिए समर्थन तंत्र विकसित किया जाएगा, ताकि प्रत्येक उद्यमी की आकांक्षाएं पूरी हो सकें और ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार किया जा सके।-—अशोक चंद्रा (पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी)
                         

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