पानी की बचत करने से भी आती है खुशहाली

Edited By ,Updated: 02 Apr, 2023 06:22 AM

saving water also brings happiness

संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि दुनिया की 26 प्रतिशत आबादी यानी 2 अरब लोगों के पास अब भी पीने का साफ पानी नहीं है। रिपोर्ट का मानना है कि ग्लोबल वाॄमग की समस्या और विकराल होने वाली है।

संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि दुनिया की 26 प्रतिशत आबादी यानी 2 अरब लोगों के पास अब भी पीने का साफ पानी नहीं है। रिपोर्ट का मानना है कि ग्लोबल वाॄमग की समस्या और विकराल होने वाली है। इससे पानी का संकट उन इलाकों में भी बढ़ेगा, जहां फिलहाल पानी की किल्लत नहीं है। 

अंदेशा जताया गया है कि साल 2050 में दुनिया की 2.40 अरब शहरी आबादी जल संकट से जूझ सकती है। इससे सबसे ज्यादा भारत के प्रभावित होने की आशंका है। तय है कि कोई देश कितना खुशहाल है, लोग कितने खुश हैं, यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि उनके पास कितना पानी है। जिन देशों में लोगों की जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता, या वे उपलब्ध जल का सदुपयोग नहीं कर पाते, वे देर- सवेर पिछड़ जाते हैं। लोगों को पीने के लिए और साफ- सफाई के लिए पानी चाहिए। कृषि और उद्योग धंधे पानी के बिना नहीं चल सकते। किसी भी राष्ट्र के जनजीवन और जीवन-स्तर का आधार पानी भी है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे, आधुनिक रहन-सहन के लिए प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 1000 क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। तभी लोग स्वस्थ रहेंगे, खेत-खलिहान भरे रहेंगे और कल-कारखाने चलते रहेंगे। कई देशों में इस समय मौजूदा आबादी के लिए इतना पानी तो है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति पानी कम होता जा रहा है। अगले तीसेक बरसों में इन देशों को जल-संकट का सामना करना पड़ सकता है। इन देशों में भारत, मिस्र, ईरान और पेरू भी शामिल हैं। 

अफ्रीका के कुछ देश कई साल से भुखमरी के शिकार हैं। इसकी एक बड़ी वजह है पानी। भारत के अधिकांश भागों में पर्याप्त पानी तो है, लेकिन दोषपूर्ण वितरण और त्रुटिपूर्ण प्रबंधन के कारण करोड़ों लोगों को पर्याप्त जल नहीं मिल पाता। एक अनुमान के अनुसार देश के डेढ़ लाख गांवों में पानी उपलब्ध नहीं है। भारत की तरह चीन के कई हिस्सों में भी पानी की कमी है। इन के अलावा अन्य कई देश भी पानी के लिए इंद्र देवता पर निर्भर हैं। पर्याप्त वर्षा न होने से जनजीवन और अर्थ-व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

गर्मियां शुरू हो गई हैं। नल सूख रहे हैं। हर नागरिक को पर्याप्त पानी मिलना चाहिए। पानी की हर बूंद कीमती है। पानी की एक- एक बूंद तभी बचेगी, जब पानी को सावधानी से इस्तेमाल करेंगे। हम सब इसमें सहयोग कर सकते हैं। बचत कैसे हो सकती है? कुछ मामूली बातों पर गौर और अमल करने से मुमकिन है। दांत साफ करने में पानी का ज्यादा इस्तेमाल होता है। इस दौरान अगर नल को 5 मिनट भी खुला रखें, तो करीब 40 लीटर पानी यूं ही बह जाता है। मग में पानी भर कर ब्रश करने से केवल एक-आध लीटर पानी खर्च होता है। यानी ऐसे पूरे साढ़े 39 लीटर पानी की बचत होती है। 

आमतौर पर हाथ धोने के लिए नल एक-डेढ़ मिनट खुलता है। इस बीच 10-12 लीटर पानी बह जाता है। यहां भी मग का प्रयोग किया जा सकता है। जरा-सी सावधानी से 9-10 लीटर पानी की बचत हो सकती है। हालांकि पुरुषों में हल्की दाड़ी का फैशन है। लेकिन फिर भी, ज्यादातर पुरुष प्राय: रोजाना शेव बनाते हैं। शेव करते समय नल खुला न रखें। मग भर कर शेव करने की आदत डालें। इस तरह पानी की काफी बचत हो सकती है। 

गर्मियों में बाथरूम में फव्वारे तले नहाने का मजा ही निराला है। लेकिन जरा रुकिए। शरीर पर साबुन लगाते वक्त फव्वारे को लगातार चलाए रखने से पानी बेकार जाता है। फव्वारे तले नहाने से 90 लीटर पानी बह जाता है। अगर पहले एक बार नहाने के बाद फव्वारा बंद कर दिया जाए, और साबुन लगाने के बाद पुन: खोला जाए, तो पानी बच सकता है। इस प्रकार, फव्वारे तले नहाने का लुत्फ भी उठाया जा सकता है, और सूझबूझ से बरतने से केवल 20 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। करीब 70 लीटर पानी बचत मामूली नहीं है। फव्वारे की बजाय बाल्टी भर कर नहाना फायदेमंद रहता है। और हां, खुले पानी की बजाय बाल्टी द्वारा ही कार, स्कूटर आदि की धुलाई करना फ़ायदेमंद रहता है। इसी प्रकार, कपड़े धोएं तो नल के नीचे न धोएं। बाल्टी में डाल कर धोने से पानी की बचत होगी। 

पालक, मेथी जैसी सब्जियों को धोते वक्त न केवल समय लगता है, बल्कि पूरी तरह मिट्टी व धूल निकालने के लिए काफी खुला पानी चाहिए। यदि काटने से पहले इनकी साबुत गड्डी को पानी से धो लिया जाए, तो न केवल पानी की बचत होगी, बल्कि सब्जी आसानी से साफ भी हो जाएगी। और तो और, घर या बाहर, जहां कहीं भी बिना वजह नल बहता देखें, तो उसे फौरन बंद कर दें। घर के बाहर जाते वक्त या रात को सोने से पहले चैक कर लें कि सभी नल बंद हैं।-अमिताभ 
 

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