सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का होगा प्राइवेटाइजेशन, शेयरों में आया उछाल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Jun, 2021 04:38 PM

central bank of india and indian overseas bank will be privatized

केंद्र सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का चयन किया है। इन दोनों में सरकार अपनी 51 फीसदी की हिस्सेदारी पहले चरण में बेचेगी। इस खबर से दोनों बैंकों के शेयरों में आज 20 फीसदी तक का उछाल दिखा है।

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का चयन किया है। इन दोनों में सरकार अपनी 51 फीसदी की हिस्सेदारी पहले चरण में बेचेगी। इस खबर से दोनों बैंकों के शेयरों में आज 20 फीसदी तक का उछाल दिखा है। IOB के शेयर इस खबर के पहले 19.85 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे जो अचानक 19.80 फीसदी चढ़कर 23.60 रुपए पर पहुंच गए। वहीं सेंट्रल बैंक के शेयर 20 रुपए से 19.80 फीसदी चढ़कर 24.20 रुपए पर पहुंच गए। इसी तरह बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शेयर 8 फीसदी बढ़कर 27 रुपए पर जबकि बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 7 फीसदी बढ़ कर 80 रुपए पर कारोबार कर रहा है।

इन दोनों बैंको के प्राइवेटाइजेशन के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में बदलाव करेगी। साथ ही आरबीआई के साथ भी चर्चा होगी। नीति आयोग ने इन दोनों बैंकों के नाम की सिफारिश थी। आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 

आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी। सराकर ने FY22 के लिए विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने की लक्ष्य रखा है। प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक, 44,000 करोड़ रुपए है। जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपए है। 

ग्राहकों को नहीं होगा कोई नुकसान
बैंकों के निजीकरण से ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि जिन बैंकों का निजीकरण होने जा रहा है, उनके खाताधारकों को कोई नुकसान नहीं होगा। ग्राहकों को पहले की तरह ही बैंकिंग सेवाएं मिलती रहेंगी। दरअसल इस समय केंद्र सरकार विनिवेश पर ज्यादा ध्यान दे रही है। सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार राजस्व को बढ़ाना चाहती है और उस पैसे का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं पर करना चाहती है।

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