Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Apr, 2018 12:42 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) बैंकों की सुरक्षा को लेकर नियमों में बदलाव करता रहता है। बैंकों में होने वाले सभी ट्रांजैक्शन पर भी आर.बी.आई. की पैनी नजर रहती है।
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) बैंकों की सुरक्षा को लेकर नियमों में बदलाव करता रहता है। बैंकों में होने वाले सभी ट्रांजैक्शन पर भी आर.बी.आई. की पैनी नजर रहती है।
LRS के नियमों को किया और कड़ा
ऐसे में रिजर्व बैंक ने देश से बाहर धन भेजने की उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme (LRS) की जानकारी देने के नियमों को और कड़ा कर दिया है। इस योजना के तहत कोई व्यक्ति एक वर्ष में ढाई लाख डॉलर तक विदेश भेज सकता है।
मौजूदा समय में धन भेजने वाले (प्रेषक) द्वारा की गई घोषणा के आधार पर बैंक योजना के तहत लेनदेन की अनुमति देते हैं। इस सीमा के पालन की निगरानी केवल प्रेषक द्वारा की गई घोषणा तक ही सीमित है। इसकी स्वतंत्र रूप से कोई पुष्टि नहीं की जाती। इसके बारे में जानकारी का कोई विश्वसनीय स्रोत भी नहीं होता है।
बैंक ने किया नोटिफिकेशन जारी
रिजर्व बैंक ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि धन भेजने पर निगरानी को बेहतर करने और एल.आर.एस. सीमाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय किया गया कि इस योजना के तहत धन भेजने वालों के लेनदेनों की जानकारी संबंधित प्राधिकृत डीलर बैंकों से रोजाना मंगाने की व्यवस्था को अमल में लाया जाए। यह जानकारी इस तरह के लेनदेन करने वाले अन्य बैंकों को भी सुलभ होनी चाहिए। अब बैंकों को रोजाना इस तरह के लेनदेन की सूचना अपलोड करनी होगी।