Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Sep, 2019 02:13 PM
अगर आप भी एसिडिटी को दूर करने के लिए फेमस दवा रेनिटिडाइन (Ranitidine) का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने मंगलवार को एंटी-एसिडिटी दवा Ranitidine पर सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है।
नई दिल्लीः अगर आप भी एसिडिटी को दूर करने के लिए फेमस दवा रेनिटिडाइन (Ranitidine) का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने मंगलवार को एंटी-एसिडिटी दवा Ranitidine पर सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है। ड्रग कंट्रोलर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि रेनिटिडाइन दवा में कई ऐसे केमिकल पाए गए हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा हो सकता है। आपको बता दें कि रेनिटिडाइन दवा का इस्तेमाल सिर्फ एसिडिटी में ही नहीं होता, बल्कि कई दूसरी बीमारियों के इलाज में जैसे आंत में होने वाला अल्सर, गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स बीमार, इसोफैगिटिस में किया जाता है। यह दवा मार्केट में अलग-अलग फॉर्मूलेशन में टैबलेट और इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है।
जारी हुई चेतावनी
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ड्रग्स कंट्रोलर, वीजी सोमानी ने देश के सभी राज्यों को रेनिटिडाइन दवा को लेकर चेतावनी जारी की है। राज्यों को इस पर कदम उठाने का आदेश दिया है।
- अमेरिका की एफडीए ने सबसे पहले इस दवाई में कैंसर के कारकों पता लगाया था और इस संबंध में अलर्ट जारी किया था।
- भारत में इस दवाई का उत्पादन करने वाली कंपनियों को तुरंत प्रभाव से इस दवा का उत्पादन रोकने के लिए कहा गया।
- ड्रग कंट्रोलर के निर्देशों के तहत डॉक्टरों को यह सलाह जारी की गई है कि वे यह दवाई मरीजों को लेने की सलाह ना दें।
अब क्या होगा
भारत में दवाइयों की क्वॉलिटी, सेफ्टी और क्षमता-गुणवत्ता को नियंत्रित करने वाली संस्था द सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने रेनिटिडाइन से जुड़े इस मामले को एक्सपर्ट कमेटी के पास भेज दिया है। यह कमेटी देशभर में अलग-अलग ब्रैंड्स के नाम से बिक रही रेनिटिडाइन दवा की जांच करेगी।
बिना डॉक्टर की पर्ची के भी मिल रही है ये दवा
रेनिटिडिन शेड्यूल-H के तहत है यानी इसे खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची जरूरत है। मतलब जब तक डॉक्टर लिखकर न दे, तब तक कोई दवा की दुकान इसे आपको नहीं देगा लेकिन देश में कई जगहों पर यह बिना पर्ची के भी आसानी से मिल जाती है। इस दवाई में कैंसर के कारकों का पता सबसे पहले अमेरिका की यूएसएफडीए ने लगाया था।