Edited By vasudha,Updated: 05 Feb, 2020 11:08 AM
मोदी सरकार ने करोड़ों म्यूचअल फंड निवेशकों पर टैक्स का बोझ डालने की तैयारी कर ली है। केंद्रीय बजट 2020 में एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब डिविडेंड को भुनाने पर 10% TDS (Tax Deduction at Source) लगेगा। Income Tax डिपार्टमेंट ने साफ किया है...
बिजनेस डेस्क: मोदी सरकार ने करोड़ों म्यूचअल फंड निवेशकों पर टैक्स का बोझ डालने की तैयारी कर ली है। केंद्रीय बजट 2020 में एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब डिविडेंड को भुनाने पर 10% TDS (Tax Deduction at Source) लगेगा। Income Tax डिपार्टमेंट ने साफ किया है कि बजट में 10 प्रतिशत TDS का प्रस्ताव केवल म्यूचुअल फंड द्वारा दिये गये Dividend पर लागू होगा। यह यूनिट को भुनाने से होने वाले फायदे पर लागू नहीं होगा। आसान शब्दों में कहें तो जिन म्यूचुअल फंड्स स्कीम में डिविडेंड मिलता हैं उन्हीं पर टैक्स लगेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में कंपनियों और म्यूचुअल फंड द्वारा शेयरधारकों या यूनिटधारकों को भुगतान किये जाने वाले लाभांश वितरण कर (डीडीटी) को समाप्त कर दिया है। इसकी जगह यह प्रस्ताव किया गया कि कंपनी या म्यूचुअल फंड के अपने शेयरधारकों या यूनिटधारकों को किये गये लाभांश भुगतान पर 10 प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) होगी। यह कर कटौती तब होगी जब लाभांश या आय साल में 5,000 रुपये से अधिक होगी।
एक बयान में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि ये सवाल पूछे गये थे कि क्या म्यूचुअल फंड को यूनिट भुनाने से होने वाले पूंजी लाभ पर भी टीडीएस काटने की जरूरत है। म्यूचुअल फंड उद्योग के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड ने कर विभाग से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा था। सीबीडीटी ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रस्तावित धारा के तहत म्यूचुअल फंड को केवल लाभांश पर 10 प्रतिशत की दर से टीडीएस काटना है। उन्हें पूंजी लाभ पर कर काटने की जरूरत नहीं है।
यानी अगर एक साल में म्यूचुअल फंड में 1 लाख रुपये के निवेश से आपको 10000 रुपये की आय हो तो इसमें से 5000 रुपये की आय टैक्स फ्री रहेगी। यदि 5000 रुपये के ऊपर आपकी अतिरिक्त म्यूचुअल फंड आय 5000 रुपये है तो म्यूचुअल फंड कंपनी उस 5000 रुपये में से 10 टीडीएस यानी 500 रुपये काट कर आपको 4500 रुपये देगी। अभी तक 1 लाख रुपये से अधिक की म्यूचुअल फंड आय पर ही टीडीएस कटता था। वो भी भारत के घरेलू निवासियों नहीं बल्कि सिर्फ एनआरआई निवेशकों और गैर-भारतीय निवेशकों को ही टीडीएस देना पड़ता था। सरकार के नये प्रस्ताव को छोटे म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।