Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Mar, 2020 02:24 PM
आलू के बाजार रेट और लागत में बड़े अंतर के चलते ज्यादा मुनाफे की उम्मीद दिखाई दे रही थी। बीते कई साल को देखते हुए पैदावार भी अच्छी हुई थी लेकिन 5 मार्च को हुई बारिश और ओलों ने किसान के ख्वाबों पर पानी फेर दिया। खेतों में पानी भर गया है, जिसके चलते...
नई दिल्लीः आलू के बाजार रेट और लागत में बड़े अंतर के चलते ज्यादा मुनाफे की उम्मीद दिखाई दे रही थी। बीते कई साल को देखते हुए पैदावार भी अच्छी हुई थी लेकिन 5 मार्च को हुई बारिश और ओलों ने किसान के ख्वाबों पर पानी फेर दिया। खेतों में पानी भर गया है, जिसके चलते आलू के सड़ने का खतरा बढ़ गया है। जो आलू सड़ेगा नहीं वो काला पड़ जाएगा। उसके दाम कम हो जाएंगे। लागत मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। यूपी (UP) और पंजाब (Punjab) में ज्यादा नुकसान होना बताया जा रहा है।
पानी में दबी हैं 30 से 35 करोड़ आलू की बोरी
आलू उत्पादक किसान समिति के महामंत्री आमिर ने बताया कि यूपी में 30 से 35 करोड़ पैकेट आलू का उत्पादन होता है। गौरतलब रहे कि एक पैकेट का वजन 50 किलो होता है। इसमें से सबसे ज़्यादा आलू का उत्पादन आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, कन्नौज और फर्रुखाबाद में होता है। इसमें से 25 करोड़ पैकेट कोल्ड स्टोरेज में रख दिया जाता है जो धीरे-धीरे बाजार में सप्लाई होता है। बाकी का 5 से 10 करोड़ पैकेट खेतों से सीधे बाजार में बेच दिया जाता है।
इसलिए हो सकता था 75 से 125 रुपए बोरी का मुनाफा
आमिर आलू वाला बताते हैं कि इस बार आलू की फसल बहुत अच्छी हुई थी। इतना ही नहीं लागत के मुकाबले बाज़ार का रेट भी अच्छा चल रहा है। 50 किलो आलू की लागत इस बार 625 रुपए आई थी। वहीं बाजार में आलू की खरीद 700 से 750 रुपए प्रति 50 किलो बोरी चल रही है। इस तरह से हर एक बोरी पर 75 से 125 रुपए बोरी का मुनाफा होने की पूरी उम्मीद थी। अब खेतों में पानी भर गया है तो 15 दिन से पहले ज़मीन में दबे आलू का हाल मिलना भी मुश्किल है। लेबर भी होली मनाने घर चली गई. सच पूछो तो अब हमारी किस्मत जमीन में दबी हुई है।