Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Nov, 2019 01:07 PM
अगले तीन महीनों में पाम ऑयल के भाव बढ़ सकते हैं। इंडोनेशिया और मलयेशिया जैसे बड़े उत्पादक देश ऑटोमोटिव फ्यूल में बायो-डीजल कंटेंट बढ़ाने वाले हैं। इससे फूड इंडस्ट्री को पाम ऑयल की सप्लाई में कमी हो सकती है। यह देश में सबसे ज्यादा खपत होने वाला खाद्य...
कोलकाताः अगले तीन महीनों में पाम ऑयल के भाव बढ़ सकते हैं। इंडोनेशिया और मलयेशिया जैसे बड़े उत्पादक देश ऑटोमोटिव फ्यूल में बायो-डीजल कंटेंट बढ़ाने वाले हैं। इससे फूड इंडस्ट्री को पाम ऑयल की सप्लाई में कमी हो सकती है। यह देश में सबसे ज्यादा खपत होने वाला खाद्य तेल है। पिछले 45 दिनों में पाम ऑयल के भाव पहले ही एक चौथाई से ज्यादा बढ़ चुके हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता ने कहा, ‘देशभर में भारी बारिश से तिलहन की फसल को नुकसान भी हुआ है। इसके चलते भी पिछले कुछ हफ्तों में एडिबल ऑयल के भाव बढ़े हैं।’ उन्होंने कहा, ‘चीन ने भी अपने नव वर्ष से पहले पॉम ऑयल की अच्छी मात्रा में खरीदारी की है। इससे भी कीमतों को हवा मिली है।’
इंडोनेशिया और मलयेशिया जनवरी से मोटर फ्यूल में बायोडीजल कंटेंट क्रमश: 20 से 30 और 10 से 20 प्रतिशत बढ़ा सकते हैं। कारोबारियों को नए साल के दौरान कीमतों में और तेजी आने की उम्मीद है। मुंबई के सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बजोरिया ने बताया, ‘अगले तीन महीनों में पाम ऑयल का भाव 50 डॉलर प्रति टन और बढ़ सकता है। यानी पाम ऑयल करीब 8 प्रतिशत तक और महंगा होगा।’
इंडोनेशिया और मलयेशिया दोनों ने अगले साल से अपना बायोडीजल कंटेंट लगातार बढ़ाने का फैसला किया है। इससे सप्लाई वाले देश दबाव में आ जाएंगे क्योंकि पाम ऑयल के उत्पादन में इन दोनों देशों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। मेहता ने कहा, ‘इसका मतलब यह है कि खाने-पीने के लिए पाम ऑयल की आपूर्ति घटेगी।’ इंडोनेशिया सालाना 4 करोड़ टन और मलयेशिया 1.9 करोड़ टन पाम ऑयल का उत्पादन करता है। बायोडीजल कंटेंट बढ़ाने के फैसले के बाद इंडोनेशिया तकरीबन 30-40 लाख टन पाम ऑयल का इस्तेमाल ऑटो फ्यूल ब्लेंडिंग के कामों में करेगा। मलयेशिया भी इस काम में 10 लाख टन पाम ऑयल का उपयोग करेगा।