Edited By ,Updated: 21 Sep, 2016 05:18 PM
रेल बजट अलग से पेश करने की 92 साल पुरानी परम्परा को समाप्त करते हुए केंद्र सरकार ने आज इसे आज बजट में मिलाने का फैसला किया।
नई दिल्लीः रेल बजट अलग से पेश करने की 92 साल पुरानी परम्परा को समाप्त करते हुए केंद्र सरकार ने आज इसे आज बजट में मिलाने का फैसला किया। रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किए जाने की परंपरा 1924 में शुरू की गई थी। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए 2017-18 के बजट सत्र की तारीख के बारे में फैसला अलग से करेगी। जानिए रेल और आम बजट के मर्जर से जुड़ी बड़ी बातें और मोदी सरकार के इस कदम का क्या होगा असर?
वित्त मंत्रालय ही तय करेगा रेल बजट
अब आगामी वित्त वर्ष यानी 2017-18 के लिए साल 2017 में सिर्फ आम बजट ही संसद में पेश किया जाएगा। इसके अलावा एक विनियोजन विधेयक होगा। इससे रेलवे की स्वायतत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वित्त मंत्रालय ही अब रेल मंत्रालय का बजट तय करेगा लेकिन अभी भी दोनों मंत्रालयों के अधिकारों का बटंवारा बाकी है और इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी इसको भी तय किया जाना बाकी है। आम बजट में रेलवे के लागत और गैर-लागत खर्च का ब्यौरा होगा।
बनेगी रेल टैरिफ अथॉरिटी
केंद्रीय कैबिनेट ने बजट की पूरी प्रक्रिया में ही बदलाव करने का फैसला लिया है। इसके तहत अब आम बजट पेश किए जाने की तारीख और पहले हो जाएगी। वित्त और रेल मंत्रालय के बीच इस बात पर सहमति है कि आने वाले दिनों में किराए में कमी और बढ़ौतरी के लिए रेल टैरिफ अथॉरिटी बनाई जाएगी।
रेलवे को 10 हजार करोड़ की बचत
अगर रेल बजट को आम बजट में मिला दिया जाता है तो इससे नकदी की कमी से जूझ रही रेलवे को हर साल तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी क्योंकि रेल मंत्रालय को यह रकम डिविडेंड यानी लाभांश के तौर पर देना पड़ता है। आम बजट में रेल बजट के मर्जर के बाद भी रेल मंत्रालय को नई रेलगाड़ियों और परियोजनाओं के ऐलान की छूट होगी।
वित्त मंत्रालय सातवें वेतन आयोग की वजह से रेल मंत्रालय पर पड़ रहे भारी भरकम बोझ को सांझा करने में भी सहयोग करेगा। दोनों बजट के मर्जर के बाद रेलवे के राजस्व घाटे और पूंजी लागत को अब वित्त मंत्रालय को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।