Edited By Supreet Kaur,Updated: 15 Sep, 2018 11:45 AM
रियल एस्टेट रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट ऐक्ट (रेरा) को कई राज्यों में लागू हुए सालभर से ज्यादा समय हो गया है और इसका असर भी दिखने लगा है। बिल्डर्स और डेवलपर्स जल्दी घरों की डिलीवरी ग्राहकों को कर रहे हैं। क्योंकि रियल एस्टेट कानून के तहत किसी...
बिजनेस डेस्कः रियल एस्टेट रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट ऐक्ट (रेरा) को कई राज्यों में लागू हुए सालभर से ज्यादा समय हो गया है और इसका असर भी दिखने लगा है। बिल्डर्स और डेवलपर्स जल्दी घरों की डिलीवरी ग्राहकों को कर रहे हैं। क्योंकि रियल एस्टेट कानून के तहत किसी बिल्डर ने ग्राहक को घर देने मे देरी की तो ऐसे ग्राहक अपना पैसा वापस ले सकता है।
लोगों को मिल रहे घर
रियल्टी पोर्टल प्रॉपटाइगर के एक रिपोर्ट की मानें तो देश के 9 बड़े शहरों में 2018 में जनवरी से जून के दौरान 33 फीसदी ज्यादा घरों की डिलीवरी हुई है। जनवरी-जून 2017 में डेवलपर्स ने 1,44,654 खरीदारों को घर बनाकर सौंपे थे। इस साल यह संख्या बढ़कर 1,93,061 हो गई। नोएडा में सबसे ज्यादा 171 फीसदी और मुंबई में 85 फीसदी डिलीवरी बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले त्योहारी सीजन में घरों की बिक्री बढ़ सकती है।
क्या है रेरा
रेरा कानून यानि रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट के मुताबिक कोई भी प्रोजेक्ट बिना रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की मंजूरी के लॉन्च नहीं किया जा सकेगा। बिना रेरा में रजिस्ट्रेशन किए प्रोजेक्ट की बिक्री नहीं शुरू होगी, प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी होने पर पेनाल्टी भरनी होगी और खरीदारों से जो पैसा मिलेगा उसका 70 फीसदी कंस्ट्रक्शन वर्क पर खर्च किया जाएगा। इस तरीके से खरीदारों को कई तरह से सुरक्षा मिलेगी।